मनोज यादव, कोरबा. सामान्य मामलों में 15 दिन और गंभीर मामलों में सजा प्राप्त करने पर 6 माह या 1 वर्ष तक जेल में रह चुके 26 बंदियों को राहत दी गई है. कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इन सभी को पैरोल पर छोड़ा गया है. व्यवहार के आधार पर यह व्यवस्था दी गई है. इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बरते जाने पर भविष्य में इन बंदियों को ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा.
जेल की कालकोठरी में रहना कैसा होता है यह केवल वे लोग जानते हैं जो यहां तक पहुंचते हैं और काफी समय बिताते हैं अलग-अलग प्रकरणों में पुलिस थानों में नामजद होने और इसके बाद अदालत से सजा पाने के बाद लोगों को जेल की चौखट पार करनी पड़ती है यहां पहुंचने के बाद वापसी कब तक हो सकेगी इसकी चिंता लोगों को सताती रहती है वर्तमान में कोरोना का संकट हर कहीं बना हुआ है.
इस वजह से खतरे के बीच जिंदगी चल रही है अनेक स्थानों पर लोगों की मौत हो रही है और बड़ी संख्या में बीमारी से ग्रसित लोगों का उपचार हो रहा है. इन सबके बीच कोरबा के जिला जेल में बंदियों की ज्यादा संख्या होने से संक्रमण का खतरा बना हुआ है. इस स्थिति में सरकार को जरूरी निर्णय लेने पड़े हैं. जेलर विद्यानंद सिंह ने बताया कि 36 बंदियों की सूची प्रशासन को भेजी गई थी इनमें से 26 को पात्रता के आधार पर पैरोल पर रिहा किया गया है. यह राहत एक निश्चित अवधि की है. कुछ मामलों में बंदियों को उनके घर भिजवाने के लिए स्थानीय स्तर से व्यवस्था की गई.
जिला जेलर ने बताया कि अभी की स्थिति में जिला जेल में 282 बंदी मौजूद है बंदियों को राहत दिए जाने के मामले में शासन ने कई तरह के पैरामीटर्स तय किए हैं. इसके अंतर्गत गंभीर मामलों में सजा प्राप्त करने वाले बंदी को 6 महीने या 1 वर्ष क समय जेल में पूर्ण होने अथवा 60 वर्ष की उम्र से अधिक व्यक्ति को पैरोल दी जाती है.
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