रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने कार्य (आबंटन) नियम में संशोधन करते हुए ‘स्थानीय निधि’ का नाम बदलकर ‘राज्य संपरीक्षा’ कर दिया है. अब स्थानीय निधि संपरीक्षा को छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा के नाम से जाना जाएगा. छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा के सयुंक्त संचालक ने आदेश जारी किया है.

स्थानीय निधि संपरीक्षा अधिनियम 1933 में शुरु से ही यही नाम प्रचलित था. जिसे 1973 के अधिनियम में भी यथावत रखा गया था. वर्तमान में स्थानीय निधि संपरीक्षा द्वारा न केवल स्थानीय निकायों की संपरीक्षा का कार्य किया जा रहा है, लेकिन अनेक स्वायत्तशासी निकायों और अन्य निधियों का भी संपरीक्षा कार्य संपादित किया जा रहा है. स्थानीय निकायों की निधियों में स्थानीय निधि का अंश न्यून है, अधिकांश राशि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है.

इन परिस्थितियों में इस अधिनियम के नाम में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप समस्त प्रकार के निकायों की संपरीक्षा को वैधानिकता प्रदान करने, कार्यात्मक सुगमता, संपरीक्षा की नवीन तकनीकों यथा – परफारमेंस आडिट, टेस्ट आडिट आदि के प्रयोग से विभागीय दक्षता में वृद्धि के लिए अधिनियम एवं कार्य (आबंटन) नियम में वांछित संशोधन किया गया है.

वर्तमान में पंचायत एवं नगरीय निकायों के आडिट रिपोर्टों पर आधारित संचालक का वार्षिक समेकित प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर रखा जाता है. आगामी प्रतिवेदन में अन्य समस्त निकायों का प्रतिवेदन भी समेकित प्रतिवेदन में सम्मिलित किया जाएगा.