संजीव शर्मा, कोंडागांव। जिला अस्पताल कोंडागांव में रविवार को मरीजों और उनके परिजनों को उस समय भारी परेशानी का सामना करना पड़ा, जब अस्पताल परिसर के अंदर स्थित दोनों जेनरिक मेडिकल स्टोरों पर ताले लटके मिले। अस्पताल के भीतर ही दो मेडिकल स्टोरों धनवंतरी और जन औषधि को लाइसेंस जारी किए गए हैं ताकि मरीजों को सस्ती और आवश्यक दवाएं तुरंत उपलब्ध हो सकें, मगर दोनों दुकानों के बंद होने से यह उद्देश्य ध्वस्त होता नजर आया।

इन मेडिकल स्टोरों में सामान्य बाज़ार दर की तुलना में 50 से 70 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं उपलब्ध रहती हैं। लेकिन आज स्टोरों के बंद रहने से अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन परेशान होकर 3 किलोमीटर दूर शहर की निजी मेडिकल दुकानों की ओर भागते नजर आए, जहां उन्हें महंगी दरों पर दवाएं खरीदनी पड़ीं।

स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, अस्पताल परिसर के अंदर स्थित किसी भी दवा दुकान को 24 घंटे खुला रखना अनिवार्य है ताकि आपात स्थिति में मरीजों को तत्काल दवा मिल सके। बावजूद इसके जिला अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण केंद्र में मेडिकल स्टोरों का बंद रहना स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है।

अस्पताल परिसर में दवा लेने पहुंचे एक मरीज के परिजन महेंद्र कुमार पांडे ने बताया कि सुबह से दवा के लिए भटक रहे हैं। अस्पताल के दोनों जेनरिक स्टोर बंद हैं, डॉक्टर ने जो दवा लिखी है, वह बाहर कहीं मिल ही नहीं रही। मजबूर होकर शहर जाना पड़ा।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब अस्पताल परिसर की दवा दुकानों पर ताले लटके मिले हों। कई बार रविवार या छुट्टी के दिन दुकानों के बंद रहने से मरीजों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।

अब सवाल यह उठता है कि जब अस्पताल परिसर में ही सस्ती जेनरिक दवाओं की सुविधा उपलब्ध है, तो जिम्मेदार अधिकारी यह सुनिश्चित क्यों नहीं कर रहे कि स्टोर 24 घंटे खुले रहें? मरीजों की परेशानी और स्वास्थ्य सेवा में इस लापरवाही ने जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

वहीं मामले में डॉ. मोहित पाठक ने बताया कि दोनों मेडिकल बंद हैं। इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को दोनों मेडिकल बंद रहते हैं। अस्पताल परिसर के पास कोई मेडिकल नहीं है, परिजनों को काफी दूर से जाकर मेडिसिन लानी पड़ती है।