रायपुर। प्रदेश के मनरेगा कर्मचारी अपने मौलिक अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्षरत है. शासन स्तर से इन कर्मचारियों से महात्मा गांधी नरेगा के अलावा किसी भी अन्य प्रकार का कार्य नहीं लेने पत्र जारी तो कर दिया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके बिल्कुल विपरित स्थिति होती है. इन समस्याओं को लेकर शासन स्तर पर भी कई बार पत्राचार किया जाता रहा है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. अब मनरेगा के कर्मचारियों ने मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. इसको लेकर वे राज्यपाल से गुहार लगाएंगे.

जनपद पंचायत कांकेर में मनरेगा अंतर्गत कार्यरत तकनीकी सहायकों को प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों में लापरवाही के लिए 1 माह पूर्व सेवा समाप्ति की सूचना दी गई है. इसके बाद प्रदेशभर के मनरेगा कर्मचारियों में इस आदेश को लेकर आक्रोश व्याप्त है.

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अजय क्षत्री ने बताया कि हमें मनरेगा के कार्यों के लिए सैलरी दी जाती है. शासन स्तर से भी किसी प्रकार का अन्य कार्य मनरेगा कर्मचारी से नहीं कराने का निर्देश है, लेकिन जिले में मनरेगा कर्मचारी अपने मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इस संबंध में राज्य स्तर पर कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

उन्होंने कहा कि मनरेगा अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य को प्राप्त लेबर बजट के लक्ष्य को शत-प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है, लेकिन जिले में अन्य योजनाओं के काम के कारण कर्मचारी शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं.
तकनीकी सहायक की एक माह पूर्व सेवा समाप्ति सूचना पत्र मिलने से प्रदेश भर के कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है. प्रदेश कार्यकारिणी से चर्चा कर इस मुद्दे पर शासन स्तर के अलावा राज्यपाल से अधिकारों की रक्षा के लिए गुहार लगाएंगे.