अजय सुर्यवंशी. ग्रामीण अंचलों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिली इसलिए प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) में पूरे डॉक्टरों की टीम के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में ही उनका रूटीन चेकअप कर इलाज करती है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इस योजना का पूरा लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.
जशपुर जिले के बदहाल स्वास्थ्य सेवा की एक तस्वीर जिले के बगीचा विकासखंड में देखने को मिल रही है. आपको बता दे कि छतीसगढ़ सरकार के द्वारा ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना चालू किया गया. इसके अंतर्गत दूर-दराज के गांवों में इलाज की सुविधा मुहैया करवाई जाती है. जिन गांवों में हॉस्पिटल बहुत दूर हैं, वहां बहुत से लोगों को इलाज सही समय पर न मिल पाने के कारण मौतें हो जाती हैं. ऐसे लोगों को बचाने के लिए ये योजना शुरू की गई है. इसका लाभ गरीब लोग ही नहीं सभी लोग ले सकते हैं. सरकार ये सुविधा सभी को समान रूप से प्रदान कर रही है. सरकार के इस जनहितैसी योजना जशपुर जिले स्टॉफ के अभाव में दम तोड़ता नजर आ रहा है.
ये एक चलती-फिरती एम्बुलेंस सेवा है. इसमें एक एम्बुलेंस गाड़ी होती है, जिसमे एक अनुभवी डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व ड्राइवर सहित 5 लोगों का स्टॉफ हर वक्त मौजूद रहता है. जिले के बगीचा विकासखंड में भी MMU योजना संचालित है. लेकिन यहां ये सेवा सिर्फ एक डॉक्टर व एक नर्स के भरोसे चल रही है. लंबे समय से फार्मासिस्ट व लैबटेक्निशियन गायब है.
वहीं MMU बगीचा में एक डॉक्टर व एक नर्स के भरोसे पिछले एक माह से चल रहा है और विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के बीएमओ और सीएमओ से जानकारी मांगने पर प्राइवेट संस्था के द्वारा संचालित है ये जवाब देकर अपना पलड़ा झाड़ लिया जाता है. जबकि यह योजना सरकार के द्वरा पूरे प्रदेश में चलाई जा रही है. अभी स्वास्थ्य सेवा की बात करे तो कोरोना संकमण से पूरा प्रदेश की स्थिति नाजुक है बावजूद उसके स्वास्थ्य कर्मचारियों का लापरवाही समझ से परे है.
इस सम्बन्ध में जब हमने जिले के स्वास्थ्य अधिकारी सीएमओ पी सुथार से बात की तो उनके द्वारा उल्टा ही जवाब दिया गया और कहा गया कि जिले में हमें MMU की गाड़ी को कंट्रोल नहीं करते ये प्राइवेट सेक्टर की गाड़ी है, इनका हमारा कोई कंट्रोल नहीं है. हम इनकी सैलरी भी नहीं देते. हालांकि उन्होंने उक्त कर्मचारियों के एटेंडेंस बनाने और उसमें हस्ताक्षर करने की बात कही.
इतना ही नहीं सीएमओ को तो ये भी नहीं पता था कि उक्त गाड़ी से कोरोना टेस्ट में उपयोग की जा रही है.
अरे छोड़ो न क्या न्यूज बना रहे हो
लल्लूराम डॉट कॉम के रिपोर्टर ने जब सीएमओ को फोन कर उनसे उनका पक्ष जानना चाहा तो उल्टे सीएमओ रिपोर्टर पर भड़क गए. उन्होंने रिपोर्टर से कहा कि अरे ये सब छोड़ो न, क्या एमएमयू के पीछे पड़े हो. लोग यहां मर रहे है. तुम लोगों को न्यूज बनाने की पड़ी है. कार्पोरेशन वाला कोई काम करो न. ये क्या ढ़ुंढ़ते रहते हो कौन कहा है. इसके बाद जब रिपोर्टर ने कहा कि यदि पूरे स्टॉफ आएंगे तो स्वास्थ्य विभाग की ही हेल्प होगी. रिपोर्टर ने सीएमओ को बताया कि एमएमयू की ये गाड़ी कोरोना ड्यूटी कर रही है. इसके बाद सीएमओ ने कहा कि ये गाड़ी कोरोना ड्यूटी क्यों करेगी ? फिर सीएमओ ने कहा कि टेस्ट में तो हमारी टीम जाएगी ये एंबुलेंस क्यों जाएगी.
बता दें कि उक्त बातचीत की रिकार्डिंग लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद है.
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