रायपुर. पंडरी कपड़ा मार्केट में नियमों के मुताबिक काम करने वाले एक जोन कमिश्नर को ट्रांसफर का ‘तोहफा’  मिला है. ट्रांसफर ऑर्डर और मामला पुराना है, लेकिन अचानक ये ट्रांसफर का पूरा मामला सुर्खियों में है और इस अधिकारी के ट्रांसफरों की चर्चा तमाम नगर निगम अधिकारी, महापौर और मंत्री समेत मैडम के दफ्तर तक है.

वैसे अपना काम नियमों के मुताबिक करने वाले इस जोन कमिश्नर के ट्रांसफर के पीछे कई वजह सामने आई है. लेकिन वो जितनी भी वजह है उसमें एक बात सामान्य है कि उक्त अधिकारी काम नियमों के मुताबिक ही कराना चाह रहे थे. इन वजहों में ‘गुप्ता जी’ की भी इंट्री होती है, जो राजीव भवन से लेकर सिविल लाइन्स तक दखल रखते है. लेकिन ये गुप्ता जी भी अपना काम नियमों के मुताबिक नहीं कर रहे थे, जिसके कारण इस अधिकारी ने भी उनका काम कुछ दिनों के लिए रूकवा दिया था और निगम का अमला जब गुप्ता जी के उक्त निर्माण स्थल पर पहुंचा तो अपनी पहुंच दिखाते हुए निगम अमले के साथ मारपीट तक की गई.

अब आते है मुद्दे पर. पंडरी कपड़ा मार्केट में कुछ दिनों पहले तालाबंदी की कार्रवाई हुई थी. उसके कुछ दिनों पहले वहां अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश पर पंडरी कपड़ा मार्केट में लगने वाले ट्रैफिक जाम को लेकर ये निरीक्षण करने पहुंचे थे.

वहां जाने के बाद पता चला कि कुछ दुकानों का अवैध कंस्ट्रक्शन हुआ है, जिसके कारण ट्रैफिक जाम लगता है. नियमों के मुताबिक जोन कमिश्नर ने कार्रवाई की. इस दौरान वहां बंका जी की दुकान के खिलाफ भी चालानी कार्रवाई हुई और इस दौरान वहां बहस भी हुई.

इसके बाद कथित रूप से पड़री कपड़ा मार्केट के कुछ व्यारापी शिकायत करने उच्च अधिकारियों के पास पहुंच गए. मैडम ने चंद दिनों बाद जोन कमिश्नर का ट्रांसफर कर दिया. ट्रांसफर होते ही उक्त जोन कमिश्नर भी दौड़े-भागे मैडम के पास पहुंचे. वहां से उन्हें जो करने कहा गया था, वो किसी भी इमानदार अधिकारी के लिए संभव नहीं है.

मैडम ने व्यापारी से माफी मांगने कहा. जोन कमिश्नर ने मना कर दिया, कहा मेरी गलती नहीं है मैने अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश के मुताबिक ही काम किया है और नियमों के मुताबिक ही पूरी कार्रवाई हुई है. अधिकारी के ट्रांसफर होने के बाद पुनः पंडरी के तमाम व्यापारी खुश हो गए, कि हमारी दुकान पर जो अधिकारी कार्रवाई कराने पहुंचा था, हमने उसका ट्रांसफर करवा दिया. बात तो सच भी है.

अब ट्रांसफर की वजह जो भी हो. लेकिन एक बात तो साफ है कि विभाग ने मिलकर इमानदारी से काम करने वाले एक अफसर को उसे ट्रांसफर का तोहफा तो दे ही दिया और अब इस तोहफे की गूंज दूर-दूर तक है. लेकिन इस इमानदार अफसर को जिन माननीयों ने कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे वे उस अधिकारी के ट्रांसफर का दबी जुबान विरोध तो कर रहे है, लेकिन खुलकर मदद करने अब तक कोई सामने नहीं आया है.