पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से पूरे देश में मोदी सरकार के विरोध में लहर चल रही है. लोग अब केंद्र सरकार को कोसने लगे है और विरोधी भी उन्हें घेर रहे है. यही कारण है कि पेट्रोल-डीजल के दाम कैसे कम किए जाएं इसे लेकर सरकार रणनीति बना रही है. यदि ये रणनीति कारगर हुई तो संभव है कि पेट्रोल के दाम 43 से 45 रुपए के बीच आ सकते है.

तो चलिए समझते है ये कैसे संभव है

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स घटाने को लेकर कुछ राज्यों, तेल कंपनियों और पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ चर्चा की है. सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय चाहता है कि कोई ऐसा रास्ता निकले, जिससे सरकार की आमदनी पर भी असर ना पड़े और आम जनता को भी राहत मिल जाए.

ये है सरकार के पास विकल्प

दुनिया का इंजन अभी भी पेट्रोल-डीजल से ही चल रहा है. इसके दाम में बदलाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है चाहे वह वाहन चलाता हो या नहीं. कच्चे तेल के दाम में लगातार वृद्धि होने से भारत में सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ा रही हैं.

फरवरी में ही दोनों ईंधन करीब 5 रुपये लीटर बढ़ चुके हैं. वहीं कच्चे तेल की कीमतें बीते 10 महीने में डबल हो चुकी है, जिसने घरेलू बाजार यानी भारत में तेल की कीमतों पर असर डाला है. भारत के लोगों को तेल की महंगाई का बोझ केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स की वजह से कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है.

इन राज्यों ने घटाया वैट

इस बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार को एक्साईज ड्यूटी और राज्य सरकारों को वैट कम करना होगा. राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, पुड्डुचेरी और मेघालय सरकार ने पहले ही वैट घटाकर आम जनता को थोड़ी राहत दी है.  पेट्रोल और डीजल पर वैट सबसे पहले राजस्थान ने घटाया था. राजस्थान में 29 जनवरी को वैट 38 फीसद से 36 फीसदी किया गया था. असम ने 12 फरवरी को 5 रुपये टैक्स में कम किए, वहीं मेघालय ने सबसे अधिक राहत दी. यहां राज्य सरकार ने पेट्रोल पर 7.40 रुपये और डीजल पर 7.10 रुपये कम किए. टैक्स की वजह से पेट्रोल-डीजल महंगा हो रहा है.  केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं. अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 फीसद से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं. इन दोनों की दरें इतनी ज्यादा है कि 35 रुपये का पेट्रोल राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है.

दूसरा रास्ता: पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आए

कुछ दिन पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था. सुब्रमण्यम ने हाल में फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथभारत परिचर्चा में कहा, ”यह एक अच्छा कदम होगा. इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है.

ऐसा हुआ तो पेट्रोल-डीजल के रेट पर ये होगा असर

जीएसटी की उच्च दर पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा कीमतें घटकर आधी रह सकती हैं.  यदि जीएसटी परिषद ने कम स्लैब का विकल्प चुना, तो कीमतों में कमी आ सकती है. भारत में चार प्राथमिक जीएसटी दर 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी है. अगर पेट्रोल को 5 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में रखा जाए तो यह पूरे देश में 37.57 रुपये लीटर हो जाएगा और डीजल का रेट घटकर 38.03 रुपये रह जाएगा. अगर 12 फीसद स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल की कीमत होगी 40 फीसद और डीजल मिलेगा 40.56 रुपये. अगर 18 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में पेट्रोल आया तो कीमत होगी 42.22 रुपये और डीजल होगा 42.73 रुपये. वहीं अगर 28 फीसद वाले स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल 45.79 रुपये रह जाएगा और डीजल होगा 46.36 रुपये.