हकिमुददीन नासिर, महासमुंद। “बच गया वह साहूकार, पकड़ा गया वह चोर है”. इसी परिपाटी पर महासमुंद जिले में पलायन का दर्दनाक खेल वर्षों से बदस्तूर जारी है. ईंट-भट्ठा दलालों के चंगुल में बचपन सिसक रहा है. दलालों के कारण गांव का गांव खाली है, घरों में ताले लटके हैं, मोहल्लों में सन्नाटा पसरा है. नाबालिगों से बेखौफ मजदूरी कराई जाती है, लेकिन श्रम विभाग की चुप्पी और खाकी मलाई छानते रह जाती है.
भट्ठा दलालों के चंगुल में बचपन
दरअसल, इस खबर से गांव के हालातों की हकीकत बयां कर रहे हैं. स्कूल की पढ़ाई छोड़कर कई नाबालिग लड़कियां भट्ठा दलालों के चंगुल में फंसकर अनजानी जगहों पर, अनजाने लोगों के बीच मजदूरी करने को बेबस हैं. मामला सामने आने के बाद भी श्रम विभाग की मिली भगत ने नाबालिग को भी बालिग बना दिया गया. पुलिस तो पहले से ही जेब की गर्मी सेक रही है.

दलाल के चंगुल में मजदूर
महासमुंद जिले के दूरस्थ गांव बुंदेली की अगर बात करें, तो यहां से सैकड़ों लोग मजदूर दलाल के चंगुल में फंसकर हर साल अपना गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश मजदूरी करने जाते हैं, फिर मजदूरी का न मिलना, बंधक बनाना और शोषण का शिकार होने की शिकायत प्रशासन से करते हैं और मदद की गुहार लगाते हैं.
गांव में सन्नाटा और घरों में ताला
बुंदेली में ज्यादातर घरों में या तो ताला लगा है या फिर बुजुर्ग लोग ही हैं. शेष लोग पलायन कर दूसरे प्रदेश गए हुए हैं. कोरोना काल के समय जिले से पलायन कर गए 70 हजार मजदूर वापस आए थे. ग्रामीणों का कहना है कि दलाल के चंगुल में फंसकर लोग सैकड़ों की संख्या में मजदूरी करने दूसरे प्रदेश जाते हैं, लेकिन श्रम विभाग और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती.

बस पर बिठाकर करा रहा था पलायन
इसी कड़ी में मजदूर दलाल अजय नायक ग्राम दोंन जिला बलौदाबाजार के 15 मजदूरों को 30 से 70 हजार रुपये तक एडवांस देकर नैनी उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठे पर काम कराने के लिए महासमुंद जिले के झलप से बस पर बिठा कर ले जा रहा था, जिसे पटेवा पुलिस ने रोका और श्रम विभाग को कार्रवाई के लिए सौंप दिया.

नाबालिगों से मजदूरी की साजिश
इसमें तीन नाबालिग हैं, जिनकी उम्र 14 से 17 साल के बीच है. उन्हें भी मजदूरी कराने के लिए ले जाया जा रहा था. नाबालिग मजदूरों का कहना है कि वे काम कराने के लिए जा रहे हैं, जिसके एवज में उन्हे 500 रुपये की दर से मजदूरी मिलेगी.
नाबालिग को श्रम विभाग ने बनाया बालिग
मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस श्रम विभाग को कार्रवाई के लिए जिम्मेदार बताते हुए मामले से किनारा कर लिया, तो वहीं श्रम विभाग ने अपने पंचनामा में कहीं भी नाबालिग का जिक्र न करते हुए रिपोर्ट तैयार कर दी, जबकि नाबालिगों ने मीडिया को बताया कि उनकी उम्र क्या है और वे क्या करने जा रहे हैं.
मजदूर दलालों की जानकारी नहीं
गौरतलब है कि मजदूरों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश ले जाने के लिए श्रम विभाग में मजदूर दलाल का पंजीकृत होना अनिवार्य होता है. साथ ही मजदूर दलाल कितने मजदूरों को ले जा सकता है, उसकी संख्या भी तय होने के साथ कहां ले जाना है और किस ईंट भट्ठे , फैक्ट्री में कितने मे एग्रीमेंट हुआ है. सभी जानकारी श्रम विभाग को देना है.
मजदूर दलालों की चांदी
इसके बावजूद जिले से मजदूरों का पलायन मजदूर दलालों के द्वारा धड़ल्ले से करवाया जा रहा है. श्रम विभाग के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, जो श्रम विभाग के कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है ?
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