बिलासपुर. वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार व समाजसेवी पं. श्यामलाल चतुर्वेदी पुण्यतिथि पर मंगलवार को रायपुर रोड स्थित प्रतिमा पर कांग्रेसी नेताओं ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर विधायक शैलेष पांडेय ने कहा कि चतुर्वेदी की इच्छा अधूरी रही, परंतु छत्तीसगढ़ी के लिए उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा.

शैलेष पांडेय ने बताया कि पद्मश्री लेने राष्ट्रपति भवन पहुंचे पं. श्यामलाल चतुर्वेदी ने बड़ी हिफाजत से रखा कागज जैसे ही राष्ट्रपति रामानंद कोविंद को देने हाथ बढ़ाया, उनके विशेष सुरक्षा सलाहकार (एडीसी) ने यह कहते हाथ से ले लिया कि प्रोटोकॉल के मुताबिक उन्हें सीधे कोई पत्र नहीं दिया जा सकता. बात 2 अप्रैल 2018 की है. राष्ट्रपति को दिया जाने वाला कागज क्या था? उसमें पंडितजी की जान थी. कागज गंतव्य तक नहीं पहुंचा पर उन्होंने हार नहीं मानी और जब पद्मश्री सम्मान प्राप्त लोगों के साथ राष्ट्रपति का डिनर था, फिर मौका देख कर उनके सामने जा धमके. वह व्हीलचेयर पर थे, इसलिए राष्ट्रपति ने उनकी कुशलक्षेम पूछी और पहले से तैयार चतुर्वेदी ने उनसे पूछ डाला, आपके लिए पत्र सहायक को दिया था. राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि मिल गया. उस पर विचार भी चल रहा है. यह पत्र था छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा प्रदान करने की उनकी उत्कट अभिलाषा का अभिलेख.

छत्तीसगढ़ी और हिंदी के लिए जीवन कर दिया समर्पित

शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने कहा कि 1980 में जब वह सीएमडी कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष थे, छात्रहित में उग्र प्रदर्शन हुआ. अग्निकांड की जानकारी मिली तो पंडितजी ने छत्तीसगढ़ी में कह डाला-‘तैं तो अड़बड़ झरकटहा हवस’. मैं उसका मतलब नहीं जानता था, पूछा तब उन्होंने बताया कि लड़ंका. चतुर्वेदीजी के शब्दों में छत्तीसगढ़ी की मिठास के साथ आत्मीयता झलकती थी. बिलासपुर में दो ही लोग ठेठ छत्तीसगढ़ी के मिसाल हैं, पं श्यामलाल चतुर्वेदी और डा. पालेश्वर प्रसाद शर्मा. उन्होंने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि चतुर्वेदी ने अपना पूरा जीवन हिंदी और छत्तीसगढ़ के लिए समर्पित कर दिया. मौजूदा पीढ़ी छत्तीसगढ़ी के विकास के लिए अपना योगदान करे तो उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

भावी पीढ़ी करे अनुसरण 

पूर्व मेयर किशोर राय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रति अगाध समर्पण के कारण ही श्यामलाल चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष बनाए गए. साहित्य, समाजसेवा में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, उसके चलते ही उन्हें राष्ट्रपति से पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ. भावी पीढ़ी उनकी सादगी, कर्मठता, कार्यकुशलता, निष्ठा का अनुकरण कर गौरवशाली स्थान हासिल कर सकती है. कार्यक्रम में कांग्रेस नेता धर्मेश शर्मा, राजकुमार तिवारी, पूर्व पार्षद रमेश जायसवाल ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम में डिप्टी कमिश्नर खजांची कुम्हार, शैलेंद्र सिंह, राकेश पांडेय, शशिकांत चतुर्वेदी, अंबिका चतुर्वेदी, सन्नी पांडेय, शुभा पांडेय, ममता चतुर्वेदी, सूर्यकान्त चतुर्वेदी, डा.सुषमा शर्मा, शिवम शर्मा आदि उपस्थित थे.