रायपुर। राजधानी में बुधवार को एक महिला को मृत समझकर उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था. उससे ठीक पहले जांच में पता चला की महिला जिंदा है. जिसके बाद इसे अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही मानी जा रही थी. अब अस्पताल प्रबंधन की ओर से बयान सामने आय़ा है.

अंबेडकर अस्पताल की ओर जारी बयान में कहा गया है कि कुशालपुर की रहने वाली 72 वर्षीय महिला लक्ष्मी बाई अग्रवाल को 28 अप्रैल को शाम 4.30 बजे अंबेडर के केजुअल्टी विभाग में लाया गया. महिला की पोती निधि जैन ने 108 एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल लेकर आई थी. उनकी ECG की गई और ECG रिपोर्ट जो फ्लैट आया. उसके आधार पर यह पता चला की महिला की मौत हो गई है. कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार उनकी कोविड जांच की गई. कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई और शव परिजनों को सौंप दिया गया.

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अंबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन ने बताया कि परिजनों के संदेह के आधार पर फिर वापस 7 बजे के आसपास लक्ष्मी बाई का शव अस्पताल लाया गया. जिसमें परिजनों को यह संदेह था कि सांसें चल रही हैं. जिसकी पुष्टि के लिए दोबारा से जांच की गई. जिसमें पता चला कि मृत शव में राइगर मोर्टिस की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जीवन का कोई संकेत मौजूद नहीं है. उस वक़्त भी मृत शरीर में जीवन के किसी प्रकार के कोई लक्षण नहीं थे.

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उन्होंने कहा कि राइगर मोर्टिस यानी मृत्यु जनित कठोरता, यह मृत्यु के पहचानने जाने योग्य लक्षणों में से एक है. यह मौत के बाद पेशियों में आने वाले रासायनिक परिवर्तनों के कारण होता है. जिसके कारण शव के हाथ-पैर अकड़ने लगते है.

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