रायपुर। पूर्व मंत्री और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेश मूणत ने 18 से 44 आयु वर्ग के टीकाकरण पंजीयन को लेकर सरकार को घेरा है. उन्होंने जनता की परेशानियों को देखते हुए सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. मूणत ने कहा कि 26 दिन बाद भी सरकार का पोर्टल ‘सीजी टीका’ आम जनता के लिए एक अबूझ पहेली ही बना हुआ है. राज्य सरकार एक पोर्टल तक ठीक से संचालन नहीं कर पा रही है.

टीकाकरण और एप पर तकरार 

राजेश मूणत ने कहा कि वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन में 30 साल पुरानी तिथि पर पंजीकरण होना, पंजीकरण किए हुए तिथि पर स्थल पर टीका उपलब्ध न होना. वैक्सीन लगा चुके लोगों को प्रमाण पत्र तक नहीं मिल रहा है. न ही कोई मैसेज आ रहा है, जिससे राज्य के बाहर कमाने खाने वाले वर्ग को दिक्कतें हो रही है.

टीकाकरण केंद्रों में प्रिंटर न होने की समस्या

छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर जाने वाले मजदूर कर्मचारी लोगों को दूसरे राज्यों में अपने टीकाकरण की तिथि वैक्सीन की कंपनी और अगले टीका के लिए बीच के गैप की जानकारी का कोई प्रमाण नहीं है. कई टीकाकरण केंद्रों में प्रिंटर न होने से यह समस्या बढ़ गई है.
इन सब के पीछे भी इस सरकार का फोटो पॉलिटिक्स है. सस्ती लोकप्रियता दिखाई पड़ता है.

उन्होंने कहा कि एक मई से 26 मई के बीच 18 प्लस आयुवर्ग के महज 7 लाख लोगों को ही वैक्सीन का प्रथम डोज लगा है, जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 करोड़ 30 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का आंकड़ा दिया था, जिसके मुताबिक 18 प्लस आयुवर्ग के लिए दो करोड़ 60 लाख डोज चाहिए. जिस रफ्तार से वैक्सीनेशन का काम हो रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और वैक्सीनेशन का कार्य पूरा नहीं होगा.

पंजीयन कराना जंग जीतने के सामान 

मूणत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 18प्लस टीकाकरण में उस दिन ग्रहण लग गया, जब सरकार ने टीका को जाति, धर्म और संप्रदाय में बांट दिया. हाईकोर्ट की लगातार फटकार के बाद भी कोई सुधार दिखाई नहीं देता है. उन्होंने आरोप लगाया कि सीजी टीका पंजीयन को लेकर भी खेल हो रहा है. रात्रि 9 बजे के बाद पंजीयन प्रारंभ होता है, जिसकी जानकारी केवल कांग्रेस के नेताओं को होती है.

सरकार को नसीहत

उन्होंने कहा कि 10 मिनट में पंजीयन खत्म भी हो जाता है. जबकि आम आदमी दिनभर पंजीयन का प्रयास कर करके थक जाता है. वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंचने से पहले सीजी टीका में पंजीयन कराना ही किसी जंग जीतने से कम प्रतीत नहीं होता, क्योंकि पोर्टल में इतनी खामिया है, उसमें सुधार कर सुगम बनाना चाहिए.

न प्रमाण पत्र मिल रहा न कोई मैसेज आ रहा 

मूणत ने यह भी कहा कि पंजीयन और वैक्सीनेशन के बाद आम लोगों को प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है. न ही मोबाइल में कोई मैसेज आ रहा है. अधिकांश वैक्सीनेशन सेंटरों में प्रिटंर तक नहीं है. जिसके चलते आम आदमी को नई -नई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वह वैक्सीन लगाने के बाद भी प्रमाणित नहीं कर पा रहा है. क्योंकि उसके पास प्रमाण पत्र नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रमाण पत्र में मुख्यमंत्री की फोटो के लगाने के चक्कर में यह व्यवस्था भी अब तक ध्वस्त नजर आती है.

मूणत ने कहा पहले छत्तीसगढ़ सरकार वैक्सीन कि बर्बादी को छुपाने के लिए केंद्र की रिपोर्ट का हवाला देती थी. कल केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में छत्तीसगढ़ सरकार का 30% वैक्सीन बर्बाद करने में भारी लापरवाही पूर्ण रवैय्या उजागर हुआ. जब इतनी विषम परिस्थितियों में भारत में हर किसी नागरिक की सुरक्षा के लिए वैक्सीन जरूरी है, तब स्वास्थ विभाग की इतनी लापरवाही कतई स्वीकार्य नहीं है.

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