कोंडागांव। जिला एक आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्र है. जहां प्रतिदिन जीवनयापन के लिए परिवार के सदस्यों को खेती-बाड़ी, वनोपज संग्रहण, पशुचारण आदि के लिए घरों से दूर जाना पड़ता है. ऐसे में वृद्धजनों के देखभाल के लिए दिनभर कोई भी घर पर नहीं होता. ऐसी स्थिति में उन ग्रामीण वृद्धजनों के बीच और भी दिक्कतें बढ़ जाती थी, जो बुढ़ापाजनित समस्याओं के चलते चलने-फिरने में असक्षम होते थे. जिन्हें फिजियोथेरेपी के प्रथम चरण की तत्काल आवश्यकता होती थी. ऐसे लाचार वृद्ध ग्रामीणजनों को कोरोना काल में एचडब्लूसी अंतर्गत शील्डिंग के तहत घर पहुंच स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने का कार्यक्रम चलाया गया था, जिसमें पाया गया कि वृद्धजनों एवं कुछ अन्य रोगों से ग्रसित मरीजों को तुरंत फिजियोथेरेपी की स्वास्थ्य सुविधा दी जाए. परिस्थिति को देखते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में ऐसे मरीजों के उपचार के लिए ‘फिजियोथेरेपी तुमचो दुवार‘ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया.

तीन वर्षों से बिस्तर में पड़े थे सम्पत, अब चल रहे हैं अपने पैरों पर
फिजियोथेरेपी तुमचो दुवार कार्यक्रम प्रारंभ करने के पूर्व स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी एवं मितानिनों द्वारा घर-घर जाकर ऐसे मरीजों की तलाश के लिए सर्वे का कार्य किया गया था, जिसमें देवखरगांव की मितानिन द्वारा सीएचओ को संपत पोयाम के पार्किन्सन की बीमारी से ग्रसित होने के संबंध में जानकारी दी गई.

सम्पत के घर पर पत्नि के अलावा केवल एक बेटा है जो कि अक्सर जीविकोपार्जन के लिए अन्य शहरों में जाकर कार्य किया करता है, जिसपर सीएचओ ने जांच कर विभाग को सूचना दी. पार्किंसन एक ऐसा रोग है, जिसमें शारीरिक कंपन एवं मासपेशियों में जकड़न के कारण मरीजों को चलने-फिरने में दिक्कतें आ जाती है. साथ ही उच्च रक्तचाप की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में 65 वर्षीय सम्पत पोयाम भी चलने में असमर्थ होने के कारण तीन वर्षों से बिस्तर पर ही जीवन यापन कर रहे थे.

जानकारी प्राप्त होने पर जिला अस्पताल के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. पद्मनाथ बघेल द्वारा सम्पत पोयाम की स्वास्थ्य जांच कर फिजियोथेरेपी प्रारंभ करने का निर्णय लिया. चूंकि सम्पत फिजियोथेरेपी के वाहन में चढ़ने में असमर्थ थे. फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा घर पर ही इनके उपचार करना प्रारंभ कर दिया.

इस संबंध में डॉ0 बघेल बताते हैं कि पूर्व में वे केवल बिस्तर पर ही पड़े रहते थे, लेकिन उपचार प्रारंभ होते ही उनमें सुधार दिखने लगा. एक महीने के बाद ही उनकी मांसपेशियां जो कड़ी हो गई थीं. दोबार ढीली होने लगी, लेकिन अब भी वह खड़े होने में सक्षम नहीं थे. उन्होंने सम्पत जी के घरवालों से सम्पर्क कर उन्हें कुछ आसान योग सिखाए और उन्हें प्रतिदिन योग करवाने को कहा.

पांच महीनों तक चले उपचार के बाद आज सम्पत स्वयं अपने पैरों पर खड़े होने के साथ ही स्टीक के सहारे चलना प्रारंभ कर दिया है. इन्हें स्वस्थ होते देख विभाग द्वारा सम्पत पोयाम को चलने में सहायता के लिए वॉकर प्रदान किया गया. वह दैनिक दिनचर्या का कार्य अब स्वयं कर पाते हैं. फिजियोथेरेपी तुमचो दुवार से सम्पत पोयाम को नई जिंदगी प्राप्त हो गई है. इसके लिए उन्होंने फिजियोथेरेपी करने वाले डॉक्टरों के साथ विभाग को भी साधुवाद दिया.

फिजियोथेरेपी वाहन का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था प्रारंभ
फिजियोथेरेपी तुमचो दुवार योजना की शुरूवात प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 27 जनवरी को कोंगेरा में आयोजित आमसभा में किया गया था. इसके लिए पुरानी 108 गाड़ी में आवश्यक मशीनों की स्थापना कर वाहन को फिजियोथेरेपी हेतु आवश्यक सुविधाओं से युक्त किया गया था. इसके बाद रोस्टर तैयार कर फिजियोथेरेपिस्ट, सहायक एवं ड्राइवर को प्रति बुधवार जिले के 05 चिन्हांकित गांवों में फिजियोथेरेपी वाहन के माध्यम से कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है. अब तक इस कार्यक्रम अंतर्गत 26 स्वास्थ्य शिविरों द्वारा 710 मरीजों का उपचार किया गया है.

फिजियोथेरेपी टीम का मानना है कि शुरूआत में कोरोना काल की वजह से फिजियोथेरेपी वाहनों को टीकाकरण वाहनों और टेस्टिंग वाहन समझकर ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति निर्मित होती थी. साथ ही टीम के समक्ष भाषा, बोली और नई पद्धति से इलाज के बारे में मरीज को अवगत कराने में बहुत सी परेशानियों का सामना तो करना ही पड़ता था. उसपर मरीजों का विश्वास जीतकर उपचार करना तो और भी चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन परन्तु फिजियोथेरेपी की टीम द्वारा धैर्यपूर्वक इस चुनौती को पार करते हुए मरीजों से परामर्श कर उनका ईलाज करने में सफलता पाया गया, जिसके परिणाम स्वरूप वर्तमान में मरीजों का उपचार होने के कारण स्वास्थ्य विभाग का कार्यक्रम भी सफल सिद्ध हो रहा है. आगामी समय में और भी संसाधनों की उपलब्धता होने पर सम्पूर्ण जिले में कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा.