रायपुर. देशव्यापी किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने पर छत्तीसगढ़ के किसानों ने शुक्रवार को राजधानी रायपुर में ट्रैक्टर रैली निकाली. हजारों संख्या में पहुंचे किसानों ने धरना स्थल पर जनसभा की. किसानों ने ’तीन कृषि कानून वापस हुआ है, एमएसपी की कानूनी गारंटी बाकी है’’ के जमकर नारे लगाए.

जनसभा में  किसनो ने ने केंद्र और राज्य सरकार से अपनी मांगें रखी. आंदोलनकारियों ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की समस्याएं भी उठाई. उन्होंने आदिवासियों की संरक्षण और विकास की मांग की. किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा कि देश के करोड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2021 की सुबह राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश सुना. हमने गौर किया कि 11 दौर की वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय समाधान की बजाय एक तरफा घोषणा का रास्ता चुना, लेकिन हमें खुशी है कि उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार इस वचन को जल्द से जल्द और पूरी तरह निभाएगी.

संयुक्त किसान मोर्चा की ये तीन मांग

तेजराम विद्रोही ने कहा कि प्रधानमंत्री भली-भांति जानते हैं कि तीन काले कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ वार्ता की शुरुआत से ही तीन और मांगे उठाई थी. जिसमें 1. खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (सी 2 50 प्रतिषत) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए, ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके. 2. केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021 का ड्राफ्ट वापस लिया जाए और 3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए.

मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिले

किसान नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा ना होने से किसानों को निराशा हुई है. किसानों ने उम्मीद लगाई थी की इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी. पिछले एक वर्ष में इस ऐतिहासिक आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं, जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है.

किसानों ने केंद्र सरकार से की ये प्रमुख मांग

1. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमो में फंसाया गया है इन प्रकरणों को तत्काल वापस लिया जाए.

2. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं और केन्द्र सरकार की मंत्री मंडल में मंत्री बने हुए हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए.

3. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं. उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो. शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन दी जाए.

4. मजदूरों की षोषण को बढ़ावा देने वाली चार श्रम कोड बिल वापस लो जो कि आपने श्रम कानूनों को बदलकर लाया है.

5. किसानों की लागत बढ़ाने वाले पेट्रोल, डीजल, खाद, बीज, कीटनाशक दवाओं आदि के दामों को आधा किया जाए.

6. बेमौसम बारिश, प्राकृतिक आपदाओं एवं जानवरों से फसलों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए.

7. जंगली सूअर से जनता जान माल की नुकसान से काफी परेषान है इसलिए उसे वन्य प्राणी अधिनियम की श्रेणी से अलग किया जाए.

हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं, यह हमारी मजबूरी

किसान नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों से अपील किया है कि अब हम घर वापस चले जाए. हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है. हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती-बाड़ी में वापस लौटे. अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार ये छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे. तब तक संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के आंदोलन के साथ छत्तीसगढ़ में विभिन्न किसान, मजदूर, आदिवासी और नागरिक संगठनों की समन्वय से बनी छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ एकजूटता के साथ खड़ी है.

राज्य सरकार से की ये मांग

1. किसानों की लागत बढ़ाने वाले पेट्रोल, डीजल, खाद, बीज, कीटनाशक दवाओं आदि पर लगने वाले कर को आधा किया जाए.

2. बेमौसम बारिश, प्राकृतिक आपदाओं और जानवरों से फसलों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए.

3. जंगली सूअर से जनता जान माल की नुकसान से काफी परेषान है इसलिए उसे वन्य प्राणी अधिनियम की श्रेणी से अलग किया जाए.

4. भूमि का फौती/नामांतरण अथवा हक त्याग में लगने वाले पंजीकरण शुल्क को समाप्त किया जाए.

5. ग्राम बम्हनीझोला, ग्राम पंचायत कोयबा विकास खंड मैनपुर जिला गरियाबंद में मक्का प्रोसेसिंग केंद्र का निर्माण किया जाए.

6. ग्राम शोभा एवं बम्हनीझोला विकास खंड मैनपुर जिला गरियाबंद में मक्का खरीदी केंद्र की स्थापना किया जाए.

7. औद्योगिक प्रयोजनों के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए.

8. आदिवासियों/ग्रामीणों के ऊपर माओवाद के नाम पर बनाए गए फर्जी मामले वापस लिए जाए.

9. माओवाद के नाम पर आदिवासियों/ग्रामीणों को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर रोक लगाई जाए.

10. आदिवासी बहुल इलाकों में पेसा कानून का पालन किया जाए.

11. गौरघाट मैनपुर में धान उपार्जन केंद्र की स्थापना किया जाए.

12. किसानों को कंपाट नंबर से प्राप्त वन अधिकार पत्र का धान/मक्का खरीदी के लिए ऑनलाइन पंजीयन किया जाए.

13. व्यक्तिगत/सामुहिक वन अधिकार हेतु निरस्त दावा पत्रों का पुनर्मूल्यांकन कर पट्टा प्रदान किया जाए.

14. राजस्व भूमि का नक्शा खसरा त्रुटि को सुधार के लिए राजस्व विभाग द्वारा शिविर लगाया जाए.

15. राजिम के किसान महापंचायत में षामिल किसानों को छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता गौरीषंकर श्रीवास द्वारा ई टीवी चैनल में सार्वजनिक रुप से देशद्रोही कहा गया है जो अन्नदाता किसानों का अपमान और बदनामी है. इसलिए छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता गौरीषंकर श्रीवास के विरुध्द अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए.

28 सितंबर को राजिम की किसान महापंचायत के प्रस्ताव

तेजराम विद्रोही ने कहा कि 28 सितंबर को छत्तीसगढ़ के राजिम में केंद्र सरकार की कृषि, किसान और आम उपभोक्ता विरोधी कानूनों को रद्द करने और सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून बनाने की मांग को लेकर किसान महापंचायत की गई थी. जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्वकारी किसान नेतागण शामिल हुए. उनकी उपस्थिति में किसान महापंचायत ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में प्रस्ताव पारित किए हैं, जिनका जल्द से जल्द पालन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से अनुरोध है.

छत्तीसगढ़ के प्रमुख मुद्दे

1. कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 की धारा 36 (3) का राज्य में पालन किया जाए, जिससे राज्य में सभी कृषि उपजों की खरीदी, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरे साल भर किया जा सके.

2. वर्तमान खरीफ सीजन धान को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा 25 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से खरीदी किया जाना चाहिए.

3. सिंचाई साधनों में वृध्दि किया जाए.

4. छत्तीसगढ़ में धान के अलावा अन्य सभी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए मार्कफेड या कृषि उपज मंडियों के माध्यम से खरीदी की व्यवस्था करना चाहिए.

5. कृषि भूमि का अधिग्रहण किसी भी हालत में नहीं किया जाए.

6. आदिवासियों व लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए जारी आन्दोलनों पर दमन बंद किया जाए.

7. भूमि का फौती/नामांतरण या हक त्याग की मामलों में लगने वाला पंजीयन षुल्क को बंद किया जाए.

मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

छत्तीसगढ़ के विभिन्न किसान, मजदूर और नागरिक संगठनों की समन्वय से बनी छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के प्रतिनीधि मंडल ने तहसीलदार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा बड़े काॅरपोरेट घरानों के हीत में और किसान, कृषि और आम उपभोक्ताओं के खिलाफ लाए गए कानूनों को वापस लेने और सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून बनाने की की मांग को लेकर जारी किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए मुख्यमंत्री बघेल को धन्यवाद. आन्दोलन के विस्तार के रुप में जारी लखीमपुर खीरी के आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के पुत्र द्वारा गाड़ी से कुचल कर हत्या कर दी गई, प्रत्येक शहीद किसानों के परिवारों को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा 50-50 लाख रुपए की सहायता राशि दी गई. इस सहयोग का हमारा संगठन स्वागत करता है और उनको धन्यवाद ज्ञापित करता है.

आदिवासियों की स्थति में हो सुधार

ज्ञापन में कहा गया है कि साथ ही मूलतः आदिवासी क्षेत्र बस्तर के सिलगेर में वहां के रहवासी अपनी बुनियादी सुविधाओं जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने का साफ पानी आदि से वंचित है. उनके बुनियादी सुविधाओं पर आशाजनक ध्यान न देकर पैरामिलट्री, मिलट्री और पुलिस के माध्यम से आदिवासियों का माओवाद के नाम पर दमन किया जा रहा है, जिसके खिलाफ सिलेगर में मई 2021 से हजारों आदिवासियों/ किसानों का आन्दोलन लगातार जारी है. जिसमें पुलिस द्वारा गोलीचालन से एक गर्भवती महिला सहित चार लोगों की मृत्यु हो चुकी है. राज्य की कांग्रेस पार्टी तात्कालीन भाजपा सरकार के समय बस्तर के आदिवासियों और उनके आन्दोलनों का लगातार समर्थन करते आयी है. तात्कालीन भाजपा सरकार में एड़समेटा, ताड़मेटला जैसे सैकड़ों फर्जी मामले जांच में सामने आये हैं जिन आदिवासियों को माओवादी बताकर दमन किया गया है. राज्य में पार्टी और सरकार बदली है, लेकिन आदिवासियों की दशा, समस्यायें और दमन बनी हुई है. इसलिए आपसे अनुरोध है कि सिलगेर में शहीद आदिवासी किसानों के प्रत्येक परिवारों को राज्य सरकार द्वारा पृथक-पृथक उचित सहायता राशि प्रदान करें और आन्दोलनकारी आदिवासियों/ किसानों की मांगों को पूरा करें.

ये किसान नेताओं ने सभा को किया संबोधित

किसान सभा की अध्यक्षता आदिवासी भारत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भोजलाल नेताम ने की. मंच का संचालन तेजराम विद्रोही, पूरण मेश्राम और महेंद्र नेताम ने किया. सभा को दलसुराम मरकाम, जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम, भोजलाल नेताम, जयलाल सोरी, सौरा यादव, दिनाचन्द, गजेंद्र परमकार, ईश्वर नेताम, अर्जुन नायक, वैदिक मंडावी, अजय नेताम, सुनील मरकाम, टीकम नागवंशी जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर, हेमंत टंडन, मदन लाल साहू आदि ने संबोधित किया.