एक आदिवासी युवती ने प्यार पर भरोसा किया, रिश्ते पर यकीन किया और इंसाफ की उम्मीद में कानून की चौखट पर दस्तक दी. लेकिन बदले में उसे मिला धोखा, शोषण, ब्लैकमेल और अंत में अपनी नवजात बच्ची की संदिग्ध मौत. घनश्याम नाम का एक युवक चार साल तक उससे शादी का झांसा देकर उसका शारीरिक शोषण करता रहा. वह उसका भरोसा तोड़ता रहा, उसकी तस्वीरें और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करता रहा. और जब उससे मन भर गया, तो किसी और से शादी कर ली. पीड़िता को लगा अब ये कहानी यहीं खत्म हो जाएगी… पर असली दर्द तो अब शुरू हुआ था.

 घनश्याम ने शादी के बाद भी युवती से अवैध संबंध बनाए रखे. चौंकाने वाली बात यह रही कि इस पूरे खेल में उसकी पत्नी भी उसका साथ देती रही. ये केवल धोखा नहीं था, यह एक संगठित शोषण था जिसमें महिला भी महिला की दुश्मन बन बैठी.आगे चल कर पीड़िता गर्भवती हुई. एक बच्ची को जन्म दिया. लेकिन नियति को ये भी मंजूर नहीं था. जन्म के कुछ ही दिनों बाद बच्ची की तबीयत बिगड़ी. उसे राजनांदगांव के अस्पताल ले जाया गया और वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. लेकिन इससे बड़ा दुख ये था कि जब मां ने अपनी बच्ची का शव मांगा, तो आरोपी ने देने से इनकार कर दिया.

अब युवती के सब्र का बांध टूट चुका था, हैरान परेशान युवती बाघनदी थाना पहुंची… फिर अनुसूचित जाति जनजाति थाना राजनांदगांव लेकिन यहां भी तारीखें मिलती रहीं, न्याय नहीं. थानों की वर्दी ने हर बार नया वादा किया, लेकिन हर वादा टूट गया. न्याय की जगह उसे “प्रक्रिया” मिलती रही. उसे बताया गया कि “जांच चल रही है”, “मामला विचाराधीन है”, और “उपलब्ध अधिकारी मीटिंग में हैं”.

जब हर दरवाजा बंद हो गया, तो वह IG ऑफिस जा पहुंची. अकेली नहीं थी सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और कुछ ज़मीर वाले लोग उसके साथ थे. रातभर चला हंगामा, नारों की गूंज IG कार्यालय की दीवारों से टकराई. तब जाकर कुछ ‘महानुभव’ जागे और FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया.

फ़िलहाल अनुसूचित जाति थाना राजनादगांव ने मामले में देर रात एफआईआर दर्ज कर ली है लेकिन अब सवाल यही है की क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा या तारीखें ही मिलती रहेंगी? क्या बच्ची की मौत के पीछे की सच्चाई सामने आएगी या फाइलों में दबी रह जाएगी?