CG News: प्रतीक चौहान. आपने अब तक ये तो सुना होगा कि शासकीय कर्मचारी काम नहीं करते… समय से पहले ऑफिस से चले जाते है… लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कर्मचारी के बारे में बता रहे है, जो रोजाना शासकीय दफ्तर तो पहुंचता है, लेकिन न तो उसकी उपस्थित दर्ज होती है और न उसे कोई काम मिलता है… लेकिन फिर भी अपने आप को कर्मचारी मानकर रोजाना शासकीय दफ्तर में पहुंचते है. ये पूरा मामला है रायपुर के पुराने पीएचक्यू में मौजूद महिला बाल विकास विभाग का.

यहां लंबे समय से 9 संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति का विवाद चल रहा है. मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा. जहां से आदेश दिया गया है कि सक्ष्म प्राधिकारी द्वारा उनकी नियुक्ति की जाएगी. ये मामला संविदा नियिक्त के सेवा समाप्त होने के बाद पहुंचा था.

लेकिन बावजूद इसके उक्त 9 कर्मचारी विभिन्न जगहों पर काम कर रहे है, लेकिन इन में से उक्त कर्मचारी अश्विन जायसवाल रोजाना महिला बाल विकास विभाग के दफ्तर पहुंचते है, लेकिन वहां न तो उनकी उपस्थिति दर्ज होती है और न उन्हें वेतन मिलता है और न अधिकारी उन्हें काम करने कहते है. लेकिन सवाल ये है कि महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी गैर शासकीय कर्मचारी को अपने दफ्तर में आने से रोकते क्यों नहीं  ? दूसरा कर्मचारियों के बीच ऐसा क्या विवाद है कि उन्हें विभाग न तो न आपने का लिखित आदेश सौंपता है. इस पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग रायपुर में पदस्थ जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है उक्त 9 संविदा कर्मचारियों से संबंधित फाईल कलेक्टर के पास लंबित है. लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद जानकारी की उन्होंने पुष्टि की कि उक्त कर्मचारी रोजाना ऑफिस आता है, लेकिन क्यों आता है ये स्पष्ट नहीं है.

इस पूरे मामले से जुड़ी अधिक जानकारी इस लिंक में