रायपुर. विधानसभा में गुरूवार को धान खरीदी के मामले में सरकार पूरी तरह घिरती हुई नजर आई. इस मामले को लेकर बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने सवाल पूछा था.
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने अपने जवाब में कहा कि 94 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जित हुआ है. कस्टम मिलिंग का काम प्रक्रिया में है. सेंट्रल पूल में उसना धान का टारगेट ज्यादा दिया गया है. उतनी मिलिंग की क्षमता नहीं है.
2019-2020 का 3 लाख 44 हजार मीट्रिक टन धान का कस्टम मिलिंग होना शेष है. सेंट्रल पूल में 31 दिसंबर की तिथि तक धान जमा करने की मियाद खत्म हो गई है, इसलिए अब स्टेट पूल में नांगरिक आपूर्ति निगम में उसकी सप्लाई की जाएगी.
चंद्राकर ने पूछा, क्या चावल पीडीएस में खपाया जाएगा ?
अजय चंद्राकर ने पूछा कि 2019-20 का चावल 31 दिसंबर के बाद एफसीआई नहीं लेती. एक साल बाद के चावल को क्या पीडीएस में खपाया जाएगा ? अमरजीत सिंह ने कहा जो भी चावल जमा होता है वह सेंट्रल के नॉर्म्स के तहत ही जमा होता है. जमा होने के पहले स्टेट का क्वालिटी इंस्पेक्टर जांच करता है. मानक के अनुरूप पाए जाने के बाद ही चावल जमा होता है.
इसके बाद पुनः अजय चंद्राकर ने पूछा कि कस्टम मिलिंग में चावल को क्या एक साल बाद नान बाटेंगी? ऐसा कोई निर्देश है तो सदन के पटल पर रख दिया जाए.
चंद्राकर बोले, हिम्मत है ?
अजय चंद्राकर ने खाद्य मंत्री अमरजीत भगत से कहा कि हिम्मत है तो नॉर्म्स सदन के पटल पर रखे. चंद्राकर ने यह भी पूछा कि 3 लाख 44 हजार मीट्रिक टन शेष धान का क्या होगा? शिवरतन शर्मा ने कहा, मंत्री कह रहे हैं कि सेंट्रल पूल में चावल जमा करने की अनुमति देर से मिली. मंत्री यह बता दें कि अनुमति कब मिली. राज्य सरकार ने कब कब अनुमति बढ़ाये जाने की मांग की.
अमरजीत भगत ने कहा कि सेंट्रल ने चार बार तारीख आगे बढ़ाई. कोरोना की वजह से वक़्त बढ़ाया गया. बचे हुए चावल को अब हम स्टेट पूल में जमा करने जा रहे हैं. शिवरतन शर्मा ने कहा कि 2019-20 का धान संग्रहण केंद्र और सोसायटी में रखा है. आखिर उसका उठाव क्यों नहीं किया जा सका?
अमरजीत भगत ने बताया सेंट्रल में 28 लाख मीट्रिक टन जमा करना था लेकिन 26 लाख मीट्रिक टन ही जमा कर पाए. कोरोना समेत कई कारणों की वजह से ऐसे हालात बने. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि मंत्री सदन में गलत जवाब दे रहे है. 3 लाख 44 हजार मीट्रिक टन धान जो शेष बच गया. इसके जिम्मदार पर कार्रवाई होगी? नेता प्रतिपक्ष ने सदन की कमेटी से जांच कराए जाने की मांग की.
अजय चंद्राकर ने कहा कि सोची समझी साज़िश के साथ ऐसा किया गया है. राज्य में 3 लाख़ मीट्रिक टन से ज़्यादा धान सड़ गया. एक हजार करोड़ रुपए का नुक़सान सरकार को हुआ है. अमरजीत सिंह ने कहा कि सेंट्रल को सितम्बर में अनुमति देनी चाहिए थी, लेकिन सेंट्रल ने दिसंबर ने अनुमति दी है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि मंत्री सदन में झूठ बोल रहे है. जब अनुमति नहीं दी गई? तो फिर कैसे 21 लाख़ मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल में कैसे जमा हो गया?
मो. अकबर ने कहा कि मंत्री ने जो जवाब दिया उसमें यदि कोई असत्यता है तो उसके परीक्षण की अलग व्यवस्था है.
मुख्यमंत्री बोले-गंभीर प्रश्न है
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह गंभीर प्रश्न है. प्रदेश चिंतित है. जब हमने 2500 रुपए में धान ख़रीदी का निर्णय लिया तब केंद्र ने बोनस देने की बात कहते हुए धान लेने की अनुमति नहीं दी. हम प्रधानमंत्री से लेकर केंद्र के कई मंत्रियों से भी मिले. राजीव गांधी न्याय योजना हमने शुरू की उसे भी केंद्र ने बोनस मान लिया.
मैंने खुद जब प्रधानमंत्री से बात की तब जाकर अभी 3 जनवरी को अनुमति मिली. इस मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की समझ में अंतर है.
हमें अन्न दाताओं का सम्मान करना चाहिए. कल मैं दिल्ली जा रहा हूं. केंद्रीय खाद्य मंत्री से मिलूंगा. 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की मांग करूंगा. यदि अनुमति नहीं मिलेगी तो हम राज्य संसाधनों से नीलामी के ज़रिए उसे खपाएंगे, नुक़सान होगा. एथेनॉल बनाने की अनुमति भी हम केंद्र से मांग रहे हैं. जो मिल नहीं रही है.
मुख्यमंत्री ने इस विषय पर आधे घंटे की चर्चा का प्रस्ताव दिया, जिसे आसंदी ने ग्राह्य कर लिया.