रायपुर. विधानसभा में बजट की सामान्य चर्चा में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि अधिकारियों जो हाइट समझा और जिसे जनता ने जाना है उसने बहुत अंतर है. सरकार कब वित्तीय घाटे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. 17 हजार 461 करोड़ का वित्तीय घाटा अनुमानित किया है.

उन्होंने कहा कि सरकार की आमदनी अट्ठनी और खर्चा ज्यादा है. डॉ रमन ने कहा 15 साल में एक साल भी बता दीजिए जिसने अनुमानित घाटा आय- व्यय के अनुमान से ज्यादा रहा हो.

जाने और क्या-क्या कहा डॉ रमन ने

  • इस सरकार को न सदन की चिंता है और न ही सदन में पारित एक्ट की चिंता है.
  • वित्तीय घाटे की सीमा इसी सदन में 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी किया था.लेकिन 2019-20 में वित्तीय घाटा 5 फीसदी से भी आगे बढ़ गया है.
  • यही हाल इस वित्तीय वर्ष में भी दिखने वाला है.
  • पिछले दो सालों में सरकार ने राजस्व आधिक्य का अनुमान रखा. लेकिन 2019-20 में 9 हजार 609 करोड़ का राजस्व घाटा सामने आया.चालू वित्त वर्ष में 12 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा होने का अनुमान है. सरकार घाटे का रिकार्ड बना रही है.
  • सरकार पूंजीगत व्यय में केवल 8 हजार करोड़ ही खर्च कर पाई.

  • इस साल सरकार 7 हजार करोड़ का आकंड़ा भी सरकार नही छू पाएगी. यानी पेंशन, तनख्वाह देने के लिए तो सरकार के पास पैसा होगा लेकिन निर्माण और विकास के काम पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा. यह जीरो बजट है.
  • 26 महीने के कार्यकाल में सरकार पर बोझ 71 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है. ये सरकार 30 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज ले चुकी है. औसतन एक हजार करोड़ का कर्ज हर महीने राज्य सरकार ने लिया है.
  • छत्तीसगढ़ के विकास में केंद्र सरकार का बड़ा हिस्सा है. राज्य की आय में 61 फीसदी हिस्सा केंद्रीय अंश है.
  • राज्य के अपने आय से कर्ज का भुगतान नहीं हो पायेगा.
  • सरकार ने कर्ज लेने के नए नए तरीके ईजाद किये जा रहे हैं.

  • जब तक हम सरकार में थे हमने मार्कफेड को एक रुपये की भी गारंटी नही दी थी. रिजर्व बैंक के क्रेडिट लिमिट से ही हम धान खरीदते रहे.
  • इतनी बड़ी मात्रा में गारंटी देकर कर्ज लेने से राज्य पर देनदारी बढ़ रही है. राज्य कर्ज में डूबते जा रहा है.
  • यूपीए की सरकार थी तब गड्ढे खोदकर रोजगार दिया जाता था आज गोबर बेचकर रोजगार दिया जा रहा है.
  • ये सरकार झुनझुना पकड़ाने का काम करते हैं. ये गांव के लोग को गरीब ही रखना चाहते हैं. आदिवासियों को शो पीस बनाकर ही रखना चाहते हैं.
  • बजट के साइज को बोनसाई बना दिया गया. ये पिछले बजट का बोनसाई बन गया है.

इसके बाद शिवरतन शर्मा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बोनसाई बनाने में माहिर है. इस पर भूपेश बघेल ने तंज करते हुए कहा कि

ठीक कहा आपने. जब डॉ रमन सिंह यहां बैठते थे तब उन्होंने अपने आखिरी भाषण में उस तरफ इशारा करते हुए कहा था कि बीजेपी के विधायक कहां तक सदन में बैठेंगे. हमने बीजेपी को बोनसाई बनाया है. सदन में 15 सीट पर आ गए. उन्होंने कहा कि तब की सरकार में सिर्फ अधिकारियों की चलती थी. हमारी सरकार में मंत्री, विधायकों की चलती है. हम सब मिलकर सरकार चलाते हैं.

इसके बाद डॉ रमन सिंह कहा कि

पीएम आवास में 2022 तक राज्य में 11 लाख आवास बनाने थे. लेकिन इनके कार्यकाल में जीरो आवास बने हैं. इस बजट में ये लिख दिया जाता कि आवास योजना के लिए मैचिंग ग्रांट का प्रावधान किया जाएगा. ये छोटा मोटा काम नहीं है. ये आकंडो में कितनी ही हाइट बना ले, लेकिन जनता की नजर में इनकी हाईट कहां जा रही है.

डॉ रमन ने कहा कि

  • गरीबों के आवास को इस बजट में छुआ नहीं गया.
  • सड़क के लिए बड़ी बड़ी बाते हुई. 3 हजार 900 किलोमीटर लंबी सड़क, पूल पुलियों का निर्माण किया जायेगा. 5 हजार 225 करोड़ के खर्च के लिए 150 करोड़ का प्रावधान बस रखा गया है. ये सड़क कैसे बन पायेगा ?
  • बोनसाई कहने का आशय यही है कि यदि लक्ष्य को छुएगा नही तो जमीन पर योजनाएं कैसे दिखेंगी ?
  • 26 महीने बाद भी ड्रीम प्रोजेक्ट बोधघाट परियोजना को लेकर प्रावधान नहीं किया. कम से कम सौ रुपए का टोकन प्रावधान रख देते. बोधघाट प्रोजेक्ट का अभी डीपीआर भी तैयार नहीं है. ये कभी बन नहीं पाएगा.