प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. जिला अस्पताल के एक डॉक्टर ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर नौकरी करने वाले दो आरक्षकों की शिकायत एसपी से की है. जिसके बाद हड़कंप मच गया है और पूरे मामले की जांच शुरू हो गई है.
जिला अस्पताल के डॉक्टर का आरोप है कि फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनवा कर दो युवक सरकारी नौकरी कर रहे है. कुछ दिन पहले पुलिस भर्ती में चयन में उक्त दो युवकों ने नेत्र रोग विशेषज्ञ के फर्जी हस्ताक्षर से मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाकर पुलिस विभाग को सौंपा है.
डॉ का आरोप है ये दोनों शातिर युवक शासन को धोखा देकर पुलिस में लग गए है. जिस प्रमाण पत्र ये दोनों युवक ने प्रस्तुत किया है उसमें उक्त डॉक्टर का स्कैन हस्ताक्षर है. जो किसी जिला हॉस्पिटल के कर्मचारियों को पैसा देकर बनाया गया है.
डॉ मनीष जॉय ने इसकी शिकायत एसपी शलभ सिन्हा से की है. एसपी सिन्हा ने दोनो युवक से दोबारा मेडिकल प्रमाण पत्र मंगाए है और मामले की जांच भी कर रहे है. मामले को सही पाने पर दोनों युवकों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया है. अब दोनो जवानों की नौकरी खतरे में है अगर शिकायत सही पाए जाने पर दोनो युवक पर कार्रवाई पुलिस विभाग कर सकती है.
कैसे खुली पोल ?
कुछ माह पहले राज्य सरकार के द्वारा पुलिस भर्ती की वैकेंसी निकाली गई थी, कुछ दिन पहले आरक्षक में चयन होने के बाद जवानों को मेडिकल प्रमाण प्रस्तुत करना होता है. जहां जिला अस्पताल में युवकों की शारारिक परीक्षण कराने भीड़ लगी हुई थी. लगभग सभी युवक स्वास्थ्य परीक्षण में पास हो रहे थे उनको प्रमाण पत्र दिया जाता था, वही नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ मनीष जॉय ने दो युवकों की आंख में परेशानी देखकर कलर ब्लैक होने की आशंका पर प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया और अपने उच्च अधिकारी से बात कर दोनो युवकों के बारे में जानकारी दी.
उच्च अधिकारी के आदेश पर दोनो युवकों को रायपुर या राजनांदगांव में स्वास्थ्य परीक्षण कराने रेफर करने जानकारी दी थी. दूसरे दिन दोनो शातिर युवक हॉस्पिटल नहीं पहुंचे और कुछ दिन बाद जिला के किसी कर्मचारियों के मिलीभगत से डॉ मनीष जॉय की फर्जी हस्ताक्षर मेडिकल सर्टिफिकेट हासिल दोनो युवक सरकारी नौकरी में लग गए. डॉ का आरोप है जो मेडिकल प्रमाण पत्र जिला हॉस्पिटल से जारी किया गया है उसमें मेरा हस्ताक्षर नहीं है,जो प्रमाण पत्र जिला अस्पताल से जारी की गई है उसमें स्कैन वाली हस्ताक्षर है. दोनो युवक की नौकरी लगने से की भनक लगते ही डॉ मनीष भचौक रह गए और मामले की जानकारी अपने उच्च अधिकारी को दी.
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