वेंकटेश द्विवेदी/नीलम राज शर्मा/रवि रायकवार/कर्ण मिश्रा, भोपाल। Chaitra Navratri: मां आदिशक्ति की उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि आज से प्रारंभ हो गई है। भक्त नौ दिनों तक देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा करेंगे। इसी के साथ ही आज ही से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत हो गई। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश वासियों को चैत्र नवरात्रि की बधाई दी है। सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा कि- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ मां अम्बे के उपासना के पावन पर्व चैत्र नवरात्रि की आपको हार्दिक बधाई! जगत जननी मां जगदम्बे आपके जीवन को सुख,समृद्धि, आनंद के अखण्ड दीप से देदीप्यमान करें। आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हों, यही प्रार्थना।

वहीं कोरोना काल का के कारण दो साल बाद मंदिरों में चैत्र नवरात्रि पर रौनक लौटी है। राजधानी भोपाल समेत पूरे प्रदेश के सभी देवी मंदिरों में नवरात्रि पूजन के लिए ख़ास तैयारियां की गई है। Lalluram.Com पर घर बैठे कीजिए प्रदेश के चार मुख्य देवी मंदिरों के दर्शन।

मां शारदा के दर्शन करने पहले दिन लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

52 शक्ति पीठो में से एक मैहर वाली माता के दर्शन करने पहले ही दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मां शारदे की सबसे पहले सुबह 3 बजे विशेष पूजन और आरती की गई। उसके बाद भक्तों ने माता के दर्शन किए। कोरोना काल के दो साल बाद चैत्र नवरात्रि पर मां शारदे की पहले ही दिन लाखों की संख्या भक्त पहुंचे। त्रिकूट पर्वत पर विराजी माँ शारदा सर्व मनोकामनाओं को पूरा करने वाली हैं। 522 ईसा पूर्व को चतुर्दशी के दिन नृपल देव ने सामवेदी की स्थापना की थी। तभी से त्रिकूट पर्वत में पूजा अर्चना का दौर शुरू हुआ। इस मंदिर की पवित्रता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि माँ से अमरत्व का वरदान प्राप्त आल्हा उदल आज भी मां की प्रथम पूजा करते है जिसके हमेशा प्रमाण मिलते आये हैं। जब भी पट खुलते हैं माँ की पूजा श्रृंगार हुए मिलते हैं। ये भी मान्यता है इस बीच यहाँ मंदिर में कोई ठहर नहीं सकता।

52 शक्ति पीठो में से एक माई शारदे जो की विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती स्वरूपा मानी जाती है। मान्यता है कि यहां माता सती का कंठ और उनका हार गिरा था। मां का हार गिरने के कारण पहले माई हार हुआ और अब अपभ्रंस होकर मैहर के नाम से पूरे भारत वर्ष में आस्था का केंद्र है। माता की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।

मां बगलामुखीः सब बिगड़े काम बनाने वाली

दतिया। आज से देश भर में नवरात्र की धूम रहेगी। देश के शक्ति पीठों पर मेला लगेगा। इसी क्रम में दतिया के विश्व विख्यात पीताम्बरा पीठ पर 9 दिन श्रद्धालुओं का मेला लगेगा। यहां दश महाविद्याओं में से एक मां बगलामुखी देवी साक्षात बिराजमान हैं। जिनके दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन हजारों की संख्या भक्त अल सुबह से ही मां के दर्शन के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं का मानना है पीताम्बरा माई अत्यंत दयालु और जल्दी प्रसन्न होने वाली देवी हैं। यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से बड़ी से बड़ी मनोकामना पूर्ण हो जाती है जो सच्चे मन से प्रार्थना करे तो मां सब बिगड़े काम बना देती हैं ।

विश्वविख्यात मां बगलामुखी देवी के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि दस महाविद्याओं में से एक मां बगलामुखी देवी अनुष्ठान और अभिषेक से अत्यंत प्रसन्न होती हैं। अगर प्रसन्न हो जाएं तो पल भर में हर बड़ी से बड़ी मनोकामना पूरी कर देती हैं। यही कारण है कि यहां आम लोगों के साथ साथ खास लोगों का भी जमघट लगा रहा है। मां बगलामुखी देवी की ख्याति बगलामुखी अनुष्ठान के द्वारा हर तरह की मनोकामना पूरी करने के लिए भी है।

कई किलोमीटर पैदल चलकर पद्मावती शक्तिपीठ पहुंच रहे भक्त

पन्ना। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन आज नगर के देवी मां के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से है। महिला-पुरुष और बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक कोसों दूर देवी मां के मंदिरों में पैदल और नंगे पांव हाथों में जल पात्र लेकर दर्शन और पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। पन्ना के सबसे प्राचीन मंदिर पद्मावती शक्तिपीठ में सुबह से ही सैकड़ों में भक्त पूजन के लिए पहुंच गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए जगह जगह एवं मंदिरों के पास पुलिस बल तैनात है। सुबह4 बजे से मंदिरों में श्रद्धालुओं के पहुंचे का सिलसिला शुरू हो गया था।

अष्टभुजा महिषासुर मर्दिनी माता के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी कष्ट

ग्वालियर। जिले के 150 साल प्राचीन मांढरे की माता के दर्शन करने श्रद्धालुओं का सैलाब सुबह 4 बजे से ही देखा जा रहा है। सिंधिया राजवंश ने 150 वर्ष पूर्व इस मंदिर की स्थापना की थी।मंदिर में महाकाली देवी की अष्टभुजा महिषासुर मर्दिनी रूपी माता विराजमान है। जिसे वर्तमान में मांढरेवाली माता के नाम से जाना जाता है। यहां जो भी मन्नत लेकर श्रद्धालु पहुंचता है, मां उसकी हर मनोकामना को पूर्ण करती है। चैत्र और क्वार के नवरात्रि महोत्सव में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। गौरतलब है कि शहर के ऐतिहासिक मंदिरों में शुमार मांढरेवाली माता का मंदिर कंपू क्षेत्र के कैंसर पहाड़ी पर बना है। यह भव्य मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से तो खास है ही, इस मंदिर में विराजमान अष्टभुजा वाली महिषासुर मर्दिनी मां महाकाली की प्रतिमा अद्भुत और दिव्य है। अष्टभुजा वाली महाकाली मैया सिंधिया राजवंश की कुल देवी हैं,साढ़े तेरह बीघा भूमि रियासतकाल में इस मंदिर को राजवंश द्वारा प्रदान की गई थी,बताया जाता है कि जयविलास पैलेस और मंदिर का मुख आमने-सामने है।

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