बेंगलुरु। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस मिशन की अवधि एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन) तक सीमित नहीं रहेगी, चांद पर फिर से सूर्य निकलने पर यह पुन: सक्रिय हो सकता है. इसरो ने लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिन के प्रकाश में परिचालन के लिहाज से डिजाइन किया है, लेकिन एक चंद्र दिन के बाद भी इसके कार्य करने की संभावना बनी हुई है.

चंद्रयान का लैंडर विक्रम बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. गुरुवार को इसरो ने ‘भारत ने चांद पर चहलकदमी की’ के ट्वीट के साथ रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकलने की घोषणा की. इसके साथ ही इसरो लैंडर और रोवर पर मौजूद प्रणालियां के साथ एक के बाद एक प्रयोग करने के लिए तैयार है. इन सारी कवायदों को 14 पृथ्वी दिनों के भीतर पूरा किया जाना है. इससे बाद चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर फिर से गहरा अंधेरा छाने के साथ अत्यधिक ठंडा मौसम हो जाए.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सॉफ्ट लैंडिंग के बाद की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा था कि इसके बाद एक के बाद एक सारे प्रयोग चलेंगे. ये सभी चंद्रमा के एक दिन में जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है, में पूरे करने होंगे. उन्होंने कहा था कि जब तक सूरज की रोशनी रहेगी, सारी प्रणालियों को ऊर्जा मिलती रहेगी.

सोमनाथ ने कहा कि जैसे ही सूर्य अस्त होगा, हर तरफ गहरा अंधेरा होगा. तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाएगा. तब प्रणालियों का काम कर पाना संभव नहीं होगा, और यदि यह आगे चालू रहता है तो हमें खुश होना चाहिए कि यह फिर से सक्रिय हो गया है और हम एक बार फिर से प्रणाली पर काम कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि ऐसा ही कुछ हो.