नई दिल्ली. उत्तराखंड में शुक्रवार को मौसम साफ होने के बाद चार धाम यात्रा पूरी तरह से बहाल हो गई. चारधाम के लिए उत्तराखंड में ऋषिकेश स्थित कैंप 16 हजार से ज्यादा लोग यात्रा के लिए निकल चुके हैं. इस बीच बद्रीनाथ की ओर जाने वाली क्षतिग्रस्त सड़क की भी मरम्मत कर दी गई है. मौसम साफ होने के बाद अब हेलीकॉप्टर सेवा भी शुरू की जा रही है. इस राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली जिले के डुंग्री गांव पहुंच कर आपदा में लापता लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया. मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया. यहां पर 2 लोग भूस्खलन की चपेट में आने से अभी तक लापता है.
ऋषिकेश चारधाम बस टर्मिनल एवं हरिद्वार बस अड्डे से शुक्रवार प्रात से ही तीर्थयात्रियों का चारधाम को प्रस्थान जारी है. राज्य सरकार के मुताबिक ऋषिकेश में विभिन्न विभागों यथा देवस्थानम बोर्ड एवं यात्रा प्रशासन संगठन सहित पुलिस, चिकित्सा- स्वास्थ्य,परिवहन, पर्यटन, नगर निगम,संयुक्त रोटेशन के हेल्प डेस्क यात्रियों को सहायता मार्गदर्शन कर रहे है. पुलिस चौकी यात्रा बस टर्मिनल ऋषिकेश द्वारा यात्री सूचनाओं की लाउडस्पीकर से उद्घोषणा की जा रही है. इसके साथ ही ऋषिकेश बस टर्मिनल आरटीपीसीआर केंद्र से तीर्थयात्रियों की निशुल्क कोविड जांच की जा रही है. शुक्रवार से बद्रीनाथ धाम हेतु सड़क मार्ग सुचारू कर दिया गया है.
सुबह से तीर्थयात्री को श्री बद्रीनाथ दर्शन को जा रहे है. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री में यात्रा जारी है. केदारनाथ धाम हेतु हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है. चारो धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम में मौसम सर्द है, लेकिन बारिश नहीं है.
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के हरीश गौड़ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक दो लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम पहुंच गये है. बद्रीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर, केदारनाथ धाम एवं यमुनोत्री धाम के कपाट 6 नवंबर, गंगोत्री धाम के कपाट 5 नवंबर को बंद हो जायेंगे. जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के 30 अक्टूबर एवं द्वितीय केदार भगवानश्री मद्महेश्वर जी के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जायेंगे. मद्महेश्वर मेला 25 नवंबर को आयोजित होगा.
उत्तराखंड में आई अचानक तेज बरसात के कारण हुए घटनाओं में अभी तक 65 व्यक्तियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो चुकी हैं. बरसात और इससे जुड़ी आपदाओं के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे 3500 लोगो को रेस्क्यू किया गया जबकि 16 हजार लोगों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. पहाड़ी राज्य में एनडीआरएफ की 17 टीमें, एसडीआरएफ की 7 टीमें, पीएसी की 15 कम्पनियां और पुलिस के 5 हजार जवान अभी भी बचाव व राहत में लगे हैं. डिजास्टर फंड में उत्तराखण्ड को पहले से ही 250 करोड़ रूपए की राशि दी गई है. इससे राहत व बचाव का कार्य किया जा रहा है. केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि उत्तराखंड के आपदाग्रस्त व जलभराव वाले क्षेत्रों में मेडिकल टीमें भेजी जाएं ताकि बीमारियों को फैलने से रोका जा सके. क्षतिग्रस्त बिजली लाईनों को पूरी तरह जल्द से जल्द ठीक की जाए.
उत्तराखंड में 17, 18 और 19 अक्टूबर को आई तेज बारिश एवं उसके बाद उत्पन्न हुई स्थितियों के कारण अब तक 65 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है. राज्य सरकार ने बताया कि भारी बारिश का अलर्ट मिलने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री स्तर पर समीक्षा की गई. तुरंत इन्सीडेंस रेस्पोंस सिस्टम को राज्य व जिला स्तर पर सक्रिय कर दिया गया. एहतियातन तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया गया.