Chardham Yatra 2024 : चारधाम यात्रा के लिए लाखों श्रद्धालु हर दिन उत्तराखंड पहुंच रहे हैं. जिस कारण व्यवस्थाओं में कुछ बदलाव किया गया है ताकि चारों धामों में जो श्रद्धालु पहुंचे हैं. उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत न हो. चारधाम यात्रा में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए सरकार ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही यमनोत्री धाम की यात्रा के लिए भी नई व्यवस्था लागू की गई है. श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने हेतु टूर ऑपरेटर्स के लिए भी एडवाइजरी जारी करने के लिए निर्देशित किया.

पर्यटक बिना रजिस्ट्रेशन चारधाम यात्रा पर देवभूमि उत्तराखण्ड आ रहे हैं उनकी सुविधा के लिए पुलिस-पर्यटन विभाग आपसी सामंजस्य से चार धाम के अतिरिक्त भी राज्य के अन्य धार्मिक व आध्यात्मिक पर्यटक स्थलों हेतु डायवर्जन प्लान तैयार करें. चार धाम में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी अनुशासन को ध्यान में रखकर सम्मान के साथ श्रद्धालुओं से व्यवहार करें. इस दौरान अधिकारियों को यात्रा मार्ग एवं चार धाम में पेयजल व विद्युत आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के निर्देश भी दिए.

ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर लगी रोक (Chardham Yatra 2024)

  • चार धामयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को 31 में तक ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से दर्शन करने का मौका नहीं मिलेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 31 मई तक ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी गई है.
  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन वाले भी दर्शन की तारीख मिलने पर ही आएं
  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से भी वही श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं जिनकी दर्शन की तारीख पहले से तय है. जिनके दर्शन की तारीख ऑनलाइन के माध्यम से आगे की है वो भी यात्रा पर अभी न निकलें.

केदारनाथ धाम में अब गर्भगृह के होंगे दर्शन

यात्रियों की तादाद बढ़ने से कई धामों में श्रद्धालुओं को दर्शन करने का भी मौका नहीं मिल पा रहा है. केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद बीकेटीसी और प्रशासन के द्वारा सभी श्रद्धालुओं को गर्भगृह के दर्शन करने पर सहमति बनी है. क्योंकि अभी तक कई श्रद्धालु मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर बाहर से लौट जा रहे थे.

यमनोत्री में अब एक घंटे में ही करने होंगे दर्शन

यमनोत्री धाम की यात्रा में अब घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी से यमनोत्री धाम की यात्रा करने वाले यात्रियों को एक घंटे में दर्शन कर वापस लौटना होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो संचालक बिना यात्री को अपने साथ लिए ही वापस आ जाएंगे. इसके साथ ही धाम में घोड़े-खच्चरों की अधिकतम संख्या भी तय कर दिया गया है. एक दिन में 800 घोड़े-खच्चर ही जाएंगे.