नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने के फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक और अहम फैसला दिया है. वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में एक 19 वर्षीय लड़की की बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए तीन दोषियों को बरी कर दिया है. तीनों युवकों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. इसे भी पढ़ें : आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्ग के लिए दाखिले और सरकारी नौकरी में बरकरार रहेगा 10 प्रतिशत आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 3-2 से सुनाया अपना फैसला…

बता दें कि गुरुग्राम साइबर सिटी में काम करने वाली लड़की का 9/10 फरवरी, 2012 की रात को दिल्ली के कुतुब विहार में उसके घर के पास अपहरण हुआ था, जिसके तीन दिन बाद उसका क्षत-विक्षत शव रेवाड़ी के गांव रोधई के एक खेत से मिला था. शरीर पर कई चोटें थे, इसके साथ उस पर कार के औजारों से लेकर मिट्टी के बर्तनों से भी हमला किया गया था.

लड़की के अपहरण के समय के चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने लाल इंडिका गाड़ी की तलाश की. कुछ दिनों बाद उसी गाड़ी में घूमता राहुल पुलिस के हाथ लगा. उसने अपना गुनाह कबूल किया और अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी जानकारी दी. तीनों की निशानदेही पर ही पीड़िता की लाश बरामद हुई थी.

पुलिस ने जांच के बात बताया कि रवि ने अपराध की साजिश रची, क्योंकि महिला ने रिश्ते के लिए उसके प्रपोजल को ठुकरा दिया था. डीएनए रिपोर्ट और दूसरे तमाम सबूतों से निचली अदालत में तीनों के खिलाफ केस निर्विवाद तरीके से साबित हुआ. 2014 में पहले निचली अदालत ने मामले को ‘दुर्लभतम’ की श्रेणी का मानते हुए तीनों को फांसी की सजा दी थी. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा.

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