रायपुर। अक्सर कहा जाता है कि दुनिया उगते सूर्य को सलाम करती है, लेकिन छठ महापर्व इस कहावत को झूठा साबित करती है. क्योंकि एकमात्र ये त्योहार है, जिसमें न केवल उगते बल्कि डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है.

पुराणों के मुताबिक, डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से सभी परेशानियां दूर होती हैं. अगर परीक्षा में सफलता नहीं मिल रही, शारीरिक व्याधि परेशान कर रही हो या फिर कोई काम बिगड़ गया हो, ऐसे लोगों को डूबते सूर्य को अर्घ्य जरूर देना चाहिए.

छठ पूजा बेटे-बेटी, पति और घर की खुशहाली, सुख-शांति और समृद्धि के लिए की जाती है. लेकिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का संबंध संतान से है.

 डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे की प्राचीन कथा

प्राचीन समय में पृथ्वी पर कार्तवीर्य नाम के राजा हुए. वे नियमित रूप से उगते सूर्य की उपासना करते थे. इसके बावजूद उन्हें संतान सुख नहीं मिल पा रहा था. उनके पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो रहे थे और ऐसे में उनके 99 पुत्रों की मौत हो गई. इसके बाद उन्होंने नारद मुनि से इस कष्ट को दूर करने का उपाय पूछा तो नारद मुनि ने उन्हें डूबते सूर्य की पूजा करने को भी कहा.

इसके बाद कार्तवीर्य को 100वें पुत्र के रूप में सहस्रबाहु हुआ, जो बहुत पराक्रमी और दीर्घायु हुआ.

kharnaकल खरना हुआ संपन्न, आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य

मंगलवार को नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी. कल बुधवार को खरना संपन्न हुआ, जिसमें छठ व्रतियों ने दिन भर उपवास रखने के बाद रात को गुड़ की खीर, पुरी और फल को प्रसाद रूप में ग्रहण किया. अब आज छठ व्रती दिन और रातभर निर्जला उपवास रखेंगी. शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. जिसमें पूरा परिवार और समाज शामिल होता है.

ठेकुआ, गुझिया, फलों से भरे सूपों को लेकर छठ व्रती पानी में खड़ी होती हैं और परिवार और मोहल्ले के लोग सूपों और सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

कल यानि शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. फिर सबको प्रसाद देने के बाद छठ व्रती घर लौटकर अपने व्रत का पारण करेंगी.