रायपुर। इस साल 24 अक्टूबर से छठ महापर्व की शुरुआत हो जाएगी. ये पर्व 4 दिनों का होता है. ये पर्व बहुत कठिन माना जाता है. छठ को महिलाएं और पुरुष दोनों ही करते हैं. छठी मइया को सूर्य की बहन माना जाता है.

24 तारीख को ‘नहाय खाय’ से इस महापर्व की शुरुआत हो जाएगी. ‘नहाय खाय’ को व्रती नहाकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करती हैं और पूजा के बाद लौकी और चावल से बने प्रसाद को ग्रहण करती हैं.

वहीं 25 तारीख को इस बार खरना होगा. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष निर्जला उपवास करते हैं. इसके बाद सूर्य ढलने के बाद पूजा-पाठ कर रोटी, केले और दूध, गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग लगाते हैं और उसे ही ग्रहण करते हैं. पूरा परिवार इसी प्रसाद को भोजन के तौर पर भी ग्रहण करता है.

वहीं छठ महापर्व के तीसरा दिन बेहद कठिन होता है. इस दिन से व्रत करने वालों का निर्जला उपवास शुरू होता है. इसमें न तो कुछ खाया जाता है और न तो पानी तक पिया जा सकता है. इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद रात में लोग छठी मइया के गीत गाते हैं और व्रत की कथा कहते-सुनते हैं.

छठ के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके लिए लोग सूरज उगने के पहले ही उठ जाते हैं और या तो नदी-तालाबों के घाटों पर जाते हैं या फिर घर में ही घाट बनाकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देकर घर लौटने के बाद व्रती पारण यानि की व्रत को खोलती हैं. ये व्रत पति, संतान और घर में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है.

सामान्यतः इस व्रत को घर के बड़े-बुजुर्ग करते हैं और घर के बाकी सदस्य छठ महापर्व में अपना सहयोग देते हैं.

इस बार बन रहा है महासंयोग

इस बार 24 अक्टूबर को छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है. इस दिन मंगलवार है और गणेश चतुर्थी है. वहीं रवियोग भी है. ऐसा योग 34 सालों के बाद बन रहा है.

छठ पूजा के पीछे की कथा

माना जाता है कि जब पांडव जुए में कौरवों से अपना राजपाठ हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था. जिसके बाद उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हुई थीं. वहीं कथाओं के मुताबिक लंका विजय के बाद भगवान राम और सीता ने भी ये व्रत किया था.