Chhath Puja 2025 : छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है. आज शाम भक्तजन अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. यह पावन पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित है. सूर्य देव को जीवन, प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है, वहीं छठी मैया को प्रकृति और मातृत्व की देवी कहा जाता है. मान्यता है कि छठी मैया, देवी कात्यायनी (मां पार्वती का रूप) और सूर्यदेव की बहन हैं. इसी कारण इस व्रत को सूर्य षष्ठी या छठी देवी की पूजा के नाम से भी जाना जाता है.

संध्या अर्घ्य का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर 5 बजकर 58 मिनट तक डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे शुभ समय रहेगा. इस दौरान व्रती महिलाएं घाटों, तालाबों और नदियों के किनारे सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करेंगी और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी.
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ महापर्व का चौथा और अंतिम दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होता है. इस दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. इस वर्ष 28 अक्टूबर 2025 को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है. अर्घ्य देने के पश्चात व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन करती हैं.
यह व्रत संतान प्राप्ति, उसके स्वास्थ्य और उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. ज्योतिष मान्यता के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में सूर्य का प्रभाव कमजोर होता है, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी होता है. साथ ही यह पाचन तंत्र और त्वचा रोगों में भी सकारात्मक प्रभाव देता है.
पूजा विधि
- छठ पूजा के लिए दो बड़े बांस की टोकरी लें, जिन्हें पथिया और सूप के नाम से जाना जाता है.
- इसके साथ ही डगरी, पोनिया, ढाकन, कलश, पुखार, सरवा भी जरूर रख लें.
- बांस की टोकरी में भगवान सूर्य देव को अर्पित करने वाला भोग रखा जाता है. जिनमें ठेकुआ, मखान, अक्षत, भुसवा, सुपारी, अंकुरी, गन्ना आदि चीजें शामिल हैं.
- इसके अलावा टोकरी में पांच प्रकार के फल जैसे शरीफा, नारियल, केला, नाशपाती और डाभ (बड़ा वाला नींबू) रखा जाता है.
- इसके साथ ही टोकरी में पंचमेर यानी पांच रंग की मिठाई रखी जाती है. जिन टोकरी में आप छठ पूजा के लिए प्रसाद रखा रहे हैं उन पर सिंदूर और पिठार जरूर लगा लें.
- छठ के पहले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है.
- इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करना चाहिए.
- जल चढ़ाते समय – ॐ आदित्याय नमः या ॐ भास्कराय नमः. मंत्र का जप करें. अर्घ्य के बाद हाथ जोड़कर यह प्रार्थना करें – जय छठी मैया, जय सूर्य भगवान. संतान-सुख, आरोग्य और समृद्धि का आशीर्वाद दीजिए.
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