रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन संशोधित आरक्षण विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए. नौबत धक्का-मुक्ती तक आ गई. वाकये को लेकर एक तरफ सत्ता पक्ष के अलग दावें है, तो दूसरी ओर भाजपा सदस्यों के अलग.

बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में हुए वाकये पर मीडिया से चर्चा में कहा कि पिछड़े वर्ग के आरक्षण को कम करने के लिए जो व्यक्ति (न्यायालय) गया, उसको कबीर शोध पीठ का अध्यक्ष बना दिया गया. जो आदिवासियों के आरक्षण को कम करने के लिए (न्यायालय) गया, उसको अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया. ये सरकार वास्तव में आरक्षण सबको देना नहीं चाहती है. ये खाली राजनीतिक लाभ के लिए कि पांच तारीख को क्योंकि भानुप्रपातपुर का चुनाव है. उस चुनाव के कारण जल्दबाजी में यह कर रही है.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीने से कॉन्स्टिट्यूशनल ब्रेकडाउन है. छत्तीसगढ़ में कोई भर्तियां नहीं हो रही है. और आगे भी यही होगा. जब हम कानून तरीके से किसी विधेयक को पारित नहीं करेंगे, तो फिर आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा, और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग, सबके साथ कोई धोखाधड़ी या विश्वासघात करने का कोई काम कर रही है, तो वह छत्तीसगढ़ की सरकार कर रही है. हम अवैधानिक कृत्य को रोकना चाहते हैं.

हम वास्तव में अनुसूचित जनजाति को 32, पिछडे़ वर्ग को 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण मिले, इसके लिए हम नियम के तहत लाना चाहते हैं. लेकिन मुझे बोलने में खेद हो रहा है. सदन के अंदर हम विधायक बात नहीं कर सकते. हम बात करते हैं तो मंत्री टोकते हैं, अगर मंत्री नहीं टोकते हैं, तो संसदीय कार्यमंत्री उनको उकसाते हैं. और आज तो अति हो गई. एक मंत्री कहता है कि मैं उधर भी आकर आप लोगों के ऊपर बैठ सकता हूं. मेरे नेता का आदेश होना चाहिए.

हम लोग भी अपनी माता के पुत्र हैं, हम लोगों में भी वो दम है. अगर कोई ऐसा चैलेंज करता है, तो हम उसका जवाब देना जानते हैं. और मुख्यमंत्री ने उकसा कर उनको हमारी तरफ भेजा, तो ये और दुर्भाग्यजनक है. अगर ऐसा ही चाहते हैं मैदान में कुश्ती लड़ना तो हम भानुप्रपातपुर में लड़ रहे हैं, यहां पर भी कुश्ती का मैदान बना लें, हम लड़ेंगे.

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हाथापाई तक बात पहुंचना, यह तो उस विधानसभा के नेता और संसदीय कार्यमंत्री के लिए चुनौती है कि उनके लोगों का व्यवहार कैसा है. माननीय अध्यक्ष जी हर बार बोल रहे हैं कि मैने बृजमोहन को बोलने का अवसर दिया है, उनको बोलने दिजिए. विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है. बहुमत तो पशुबल का भी होता है. पर पशुबल के बहुमत को अगर कोई शांत करता है तो वह मनुष्य ही करता है. हम उसको शांत करना जानते हैं.

वहीं मंत्री शिव डहरिया ने भाजपा विधायकों पर धक्का-मुक्की का आरोप लगाते हुए कहा कि आज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग और ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के लिए संशोधन विधेयक लाया जा रहा है. लगातार भाजपा के लोग लगातार डेढ़ घंटे से आरक्षण पर विरोध कर रहे थे.जब अध्यक्ष ने कहा कि चर्चा की जाए तो वो चर्चा से भाग रहे थे. आरक्षण का विरोध करने वाले ये लोग इस स्तर पर उतर आए हैं, कि मैं जब उधर से जा रहा था तो भाजपा के अजय चंद्राकर और बाकी लोगों ने मुझसे धक्का-मुक्की की. तो आरक्षण का विरोध करने वाले लोग इस स्तर पर उतर आए हैं.

विपक्ष को उकसाए जाने से इंकार करते हुए कहा कि यह गलत बात है. हम लोग अपनी मर्यादा में रहते हैं. क्या अध्यक्ष आसंदी से जो निर्देश दे रहे हैं तो क्या बृजमोहन को नहीं मानना चाहिए, क्या अजय चंद्राकर को नहीं मानना चाहिए. जब वो तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं, तो हम लोग कोई बात कर रहे हैं, तो हमारी बात भी विपक्ष को सुननी चाहिए. विपक्ष पलायन कर बाहर भाग जाता है, और जब हम लोग कोई बात कहते हैं आरक्षण के पक्ष तो सुनने की बजाए धक्का-मुक्की कर रहे हैं. भाजपा प्रजातंत्र में विश्वास नहीं करती, संविधान में विश्वास करती. ये आरक्षण के विरोध में अनुसूचित जाति के लोगों से धक्का-मुक्की कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा खुद उकसा रही है कि आरक्षण संशोधन विधेयक मत आए, इसलिए वे गुंडागर्दी पर उतर आए है कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति से धक्का-मुक्की कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि ये अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के विरोधी लोग हैं, ये आरक्षण का विरोध करते आए हैं, और आज भी किए हैं.

शिव डहरिया ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के आरक्षण को कम करने का काम भाजपा ने किया. 16 से 12 प्रतिशत किया. मुख्यमंत्री ने 12 प्रतिशत को बढ़ाकर 13 प्रतिशत किया, जितना जनसंख्या में हमारे हिस्से के हिसाब से वापस किया है. लेकिन भाजपा के लोग विरोध कर रहे हैं. रमन सिंह ने जो आरक्षण संशोधन विधेयक लाया था, हाईकोर्ट ने उसको निरस्त कर दिया, इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट गए हैं. वो मामला अलग है, और यह मामला अलग है. हम चाहते हैं कि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को