आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तर में लगातार भारी बारिश और बाढ़ ने ग्रामीणों की जिंदगी पूरी तरह बदल कर रख दी है। लौहंडीगुड़ा ब्लॉक के मांदर पंचायत में हालात सबसे ज्यादा भयावह हैं। तेज बारिश के कारण आई बाढ़ ने लोगों का सबकुछ छीन लिया। बाढ़ ने पंचायत के 20 से 25 मकानों को पूरी तरह जमींदोज कर दिया, जबकि लगभग सौ से अधिक मकानों में दरारें पड़ गईं। ग्रामीणों द्वारा सालों से पाले गए 50 से अधिक मवेशी बाढ़ में बह गए और खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।

एक महिला ने बताया कि घरों में अनाज का एक दाना भी नहीं बचा, जबकि बरसों से संजोए गए कपड़े, बर्तन, पैसा और अन्य कीमती सामान भी बाढ़ की लहरों में बह गए। महिला ने बताया की बाढ़ के वक्त उनके घर से कुछ ही दूर दूसरे मोहल्ले में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था, लेकिन घर के पीछे इमली के झाड़ और छत में फंसे लोगों को निकालने कोई मदद नहीं आई। जब पानी कम हुआ, तब वे स्वयं ही सुरक्षित बाहर निकले। उनका कहना था कि बाढ़ ने उनका घर पूरी तरह गिरा दिया और उनका जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।

एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि बाढ़ इतनी अचानक आई कि उन्हें अपने बच्चे और परिवार के साथ खाली हाथ ही घर से बाहर निकलना पड़ा। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर और नाव के माध्यम से राहत आने में बहुत देर हुई और अधिकांश लोग स्वयं ही सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हुए।
सहायता के लिए प्रभावितों का सर्वे और राहत कार्य
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नीतीश वर्मा ने बताया कि सही समय पर आपदा प्रबंधन की रेस्क्यू टीम ने लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। उनके अनुसार, इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई, लेकिन लोगों की फसल नष्ट हुई, मकान क्षतिग्रस्त हुए और कुछ पशुओं की जान चली गई।

नीतीश वर्मा ने बताया कि राजस्व विभाग की टीम प्रभावितों का सर्वे कर रही है और मुआवजा प्रकरण तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि एक-दो दिन के भीतर आर्थिक सहायता राशि का वितरण कर दिया जाएगा।
बाढ़ से प्रभावितों के लिए प्रशासन ने स्थापित किए राहत शिविर
प्रशासन ने बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर भी स्थापित किए हैं, जहाँ उन्हें भोजन और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा डोनेशन के माध्यम से कपड़े इकट्ठा कर उनका वितरण किया जा रहा है। रोटरी क्लब के सदस्यों ने कपड़े वितरित किए, जबकि पिछले दिनों जनप्रतिनिधियों द्वारा भी राहत सामग्री प्रदान की गई। नीतीश वर्मा ने बताया कि लगभग 100 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 22 मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि कई मकानों को आंशिक क्षति हुई है।

ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ ने उनके जीवन को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। पिछले दो दिनों से वे भरपेट भोजन तक नहीं पा सके और घरों में अनाज या कोई अन्य संसाधन भी नहीं बचा। गांव के लोगों के चेहरों पर मायूसी और बेबसी साफ दिखाई दे रही है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और सरकार कितनी जल्दी और किस पैमाने पर राहत और आर्थिक सहायता प्रदान करती है, ताकि प्रभावितों की जिंदगी पटरी पर लौट सके।
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