पुरषोत्म पात्रा, गरियाबंद। तोमर पिंगल अभ्यारण्य में साथियों से बिछड़ कर अपनी जान गवाँ देने वाले नन्हें हाथी की कब्र फिर से खोदी जाएगी. उस हाथी जिसकी मौत के बाद शव का पोस्टमार्ट हुआ, पूरी तरह से परीक्षण हुआ था, फिर से अधिकारियों की निगरानी में जंगल में दफना दिया गया गया था. लेकिन अब छोटे हाथी के शव को कब्र से फिर बाहर निकाला जा रहा है. यही नहीं हाथी के शव को प्रिजर्व भी किया जा रहा है. इसके लिए बकायदा हाथी के हड्डी को प्रिजर्व करने का कार्य विशेषज्ञ के बताए अनुसार पशु चिकित्सकों ने किया है.
वन विभाग के आला अधिकारियों को जब गरियाबंद जिले के उदंती में हाथी के बच्चे की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके कंकाल को संरक्षित करने के निर्देश दिए ताकि.  उसके कंकाल का अध्ययन कर हाथी के बारे में कई अन्य जानकारी आने वाली पीढ़ी को मिल सके.
हम आपको बता दें कि इसके पूर्व नन्हे हाथी को बचाने के लिए वन विभाग काफी प्रयास किया था. यह हाथी लगभग पिछले महीने की 22 तारीख को अपने झुंड से बिछड़ गया था और बीमार होने की वजह से कुछ खा नहीं पा रहा था. जिसके बाद 12 दिन तक वन विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक और तोमर पिंगल अभयारण्य के महावत इसके इलाज में जुटे हुए थे. इसी बीच उड़ीसा पहुंच चुके 35 हाथियों का दल वापस लौटा और गांव में तोड़फोड़ मचाने के बाद अपने बच्चे को छुड़ाकर वापस ले गया. बाद में इसकी तबीयत फिर बिगडी और झुंड के बीच नन्हें शावक की मौत हो गई. जानकारी मिलने के बाद जहां वन विभाग में शोक की लहर थी. वही इस नन्हे हाथी के कंकाल को प्रिजर्व करने के चलते एक बात साफ हो गई है कि हजारों की संख्या में लोग इसके कंकाल को देखकर इनके बारे में जान सकेंगे.