सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। जिले के विभिन्न विकासखंडों में आयुर्वेद और औषधालयों का हाल इन दिनों बेहाल है. समुचित निगरानी न होने के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ जिलेवासियों को नहीं मिल पा रहा है. इसका एक ताजा मामला रामानुजगंज से आया है. जहां पर आयुर्वेद अस्पताल भगवान भरोसे है और बगैर प्रशिक्षित डॉक्टर के सफाई कर्मी मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
डॉक्टरों की पदस्थापना तो यहां है लेकिन डॉक्टर नदारत रहते हैं. वहीं सफाई कर्मी भी यह कहते नजर आते हैं कि हम कई वर्षों से यहां सेवा दे रहे हैं, जिसके कारण हमारा अनुभव अच्छा है और मरीज का हम ही इलाज करते हैं. यही हाल वाड्रफनगर आयुर्वेद चिकित्सालय का है जहां पर डॉक्टर तो पदस्थ हैं लेकिन महीनों से अस्पताल नहीं आते चपरासी के भरोसे औषधालय को खोला जाता है और बंद किया जाता है.
मामले में जब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने वाड्रफनगर विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर शशांक गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर कई वर्षों से नहीं आते हैं. जब उनसे इस बारे में पूछा जाता है तो अक्सर उनका यही जवाब रहता है कि हम छुट्टी पर हैं. बीएमओ ने यह भी बताया कि लगभग 1 साल से हमने उनके पे-डाटा को देना बंद कर दिया है, इसके बावजूद भी उनकी सैलरी रिलीज हो जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि इसकी टेलिफोनिक जानकारी भी हमने जिला आयुर्वेद अधिकारी को दी है लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है.
पूरे मामले में जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉक्टर शशी जायसवाल से जब बातचीत की गई तो उनका अजीबो–गरीब जवाब सामने आया. उन्होंने कहा कि दूरी काफी है निरीक्षण कम हो पता है. मीडिया के माध्यम से हमें जानकारी मिली है कि रामानुजगंज में एक डॉक्टर पदस्थ हैं. इसके बावजूद भी पियून के भरोसे अस्पताल संचालित है इस पर जांच कराई जाएगी और कार्रवाई की जाएगी.
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