रायपुर। राजधानी रायपुर में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर महौल बन चुका है. सभी पार्टियों ने प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस-भाजपा का रोड शो भी हो चुका है. लेकिन राजधानी में इस चुनावी महौल के बीच एक चर्चा यह भी है कि क्या इस बार शराब मुक्त चुनाव हो रहा ? हालांकि ऐसा है नहीं. लेकिन सवाल इसलिए पूछे जा रहे हैं क्योंकि पुलिस के हाथ अब तक खाली है, पुलिस को कोई कार्रवाई का मौका नहीं मिल रहा है ? अब मिल नहीं रहा है मिले हुए मौके को छोड़ा जा रहा पता नहीं ? लेकिन कोई भी चुनाव बिना शराब बँटने के संपन्न हुआ अभी तक कहीं देखने मिला है. बल्कि देखने और सुनने को जो मिला है या कहिए मिल रहा है उसके मुताबिक राजधानी में करीब 25 हजार पेटी शराब बंट रहे हैं ! हालांकि इसकी पुष्टि कोई नहीं करेगा, न कर सकता है ? लेकिन चुनावी दलों के बीच सी ऐसी ख़बरे हैं. इसके साथ-साथ ख़बर क्या-क्या है चुनाव प्रचार के बीच वह भी जानिए, भले चाहे इस आप मानिए या न मानिए, लेकिन जानिए जरूर.

ख़बर ये है कि शराब सप्लाई करने वाला वालों ने राजनीतिक दलों से कह दिया है कि चिंता न करे सब सुरक्षित तरीके से आप तक पहुँच जाएगा. वैसे लग भी तो यही रहा है कि क्योंकि पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के दावे के बीच भी मोहल्ले-मोहल्ले तक शराब की पहुँच हो चुकी है. अब कहेंगे कैसे हो चुकी है, तो ये खोजना तो पुलिस का काम हम तो बस यह बता सकते हैं कि शराब बाँटने वालों ने बकायदा कुछ पाइंट तय किए हुए हैं. कई वार्डों के स्थानीय लोगों, विशेषकर महिलाओं के मुताबिक देर रात शराब घर बाँटी जा रही हैं. घरेलु महिलाएं हो या कामकाजी महिलाएं, पढ़ने वाली छात्राएं हो या फिर नौकरी करने वाली युवतियाँ वे इन परेशानियों से किसी न किसी वक्त ऐसे लोगों का सामना करते हुए गुजर रही हैं. वैसे पुलिस को नज़र निचली बस्तियों के साथ-साथ पॉश कॉलोनियों में नज़र कुछ पैनी रखनी चाहिए. जैसे समता, चौबे, शंकर नगर, सिविल लाइन, आदि.

ख़बर तो ये है कि कुछ जगहों पर आधार कार्ड दिखाने के बाद लोगों को शराब दिया जा रहा है. ये भी बड़ा गजब है कि अवैध रूप से शराब बाँटने वाले यह देख रहे हैं, कि जिने शराब दिया जा रहा वो उनके वार्ड का वैध मतदाता या नहीं ! बताया तो ये जा रहा कि प्रत्याशियों ने अपने भरोसेमंद कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर शराब बाँटने की जिम्मेदारी है. देखने में तो यह भी आ रहा है कि दो पहिया वाहन में आसानी जिन स्थानों में शराब पहुँचना चाहिए वहाँ तक पहुँचा दी जा रही है. लेकिन शहर के अलग-अलग इलाकों से आने वाली इन ख़बरों के बीच ऐसी एक भी ख़बर जाने क्यों नहीं आ रही है कि पुलिस ने बड़ी संख्या में शराब की पेटियाँ जब्त की है, पुलिस ने शराब बाँटने वालों पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की ? खैर पुलिस के पास यह जवाब तो हो ही सकता है कि ऐसा कोई मामला तक सामने आया ही नहीं है ? अगर ऐसा है फिर हमारी ये हेंडिंग सही है…शराब मुक्त हुआ चुनाव, पुलिस के हाथ अब तक खाली, एक भी कार्रवाई नहीं मिला मौका ? पता नहीं आयोग की टीम कहाँ और कहाँ जिला प्रशासन की टीम ? जिनकी ओर से भी अब तक कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं दी गई है कि इतनी संख्या में शराब, रुपये, साड़ी, कंबल या अन्य समान जब्त किए गए हैं ? क्योंकि चुनाव कोई भी बँटता यही सब है, वैसे भी बँट भी यही सब रहा है !