रमेश सिन्हा पिथौरा(महासमुंद). इस गांव में जो वाकया हुआ, इसे पढ़कर आप हँसेंगे या रो पड़ेंगे यह आप पर ही निर्भर करता है. यूँ तो इस गांव में जो हुआ है, इसके आगे रोहित शेट्टी निर्देशित बॉलीवुड मूवी गोलमाल भी फेल है. जिसे हम यहाँ छॉलीवुड गोलमाल का नाम दे रहे हैं. दरअसल पीएम आवास योजना के तहत जबरदस्ती नया मकान बनवाने जनपद के अधिकारी ने पहले तो गरीब का घर का तुड़वा दिया. बाद में उसके बैंक खाते में आये हुए पैसे भी नहीं मिला. अब सुनिए गरीब किसान के दर्द की पूरी दास्ताँ…पिथौरा जनपद पंचायत के ग्राम बरनाई दादर में जादबो नाम के किसान अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था. इस बीच जनपद के तात्कालीन कार्यपालन अधिकारी और बैंक ने मिलकर किसान की जिंदगी को नरक ही बना दिया है.

 

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव-गांव घर बनवाये जा रहे हैं, ताकि 2022 तक हर परिवार का अपना पक्का मकान उपलब्ध हो सके. मगर बरनाई दादर के किसान जादबो की जिंदगी पीएम आवास योजना ने बदहाल कर दी है. परिवार के खुशियों पर ही ग्रहण लग गया है. भले ही आपको सुनकर आश्चर्य हो कि पीएम आवास योजना के कारण किसान आज झोपड़ी में रहने मजबूर हो गया है. अब इस दर्दनाक कहानी को जरा और विस्तार से समझ लीजिए. किसान जादबो की इस कहानी में बेशक हँसी तो भरपूर है मगर आँसू भी खूब है. एक दिन पिथौरा जनपद के तात्कालीन कार्यपालन अधिकारी पन्नालाल ध्रुवे गांव-गांव घूमते बरनाई दादर पहुंचे. अधिकारी ने पता नहीं क्यों पीएम आवास योजना के तहत अपात्र होते हुए भी किसान जादबो को कहा कि अपना ये मकान तुरंत तोड़ दो. आपको नया मकान बनवाकर देंगे. अधिकारी ने किसान जादबो को उसके घर के आगे खड़ा किया. फोटो खींचा नए मकान के लिए स्वीकृति दे दी.

 

अधिकारी ने किसान जादबो को बताया कि उसे शासन से एक लाख 20 हजार रूपये मकान के लिए दिया जायेगा. साथ ही मनरेगा योजना के तहत 15 हजार रूपये मकान बनवाने मजदूरी भी दिया जायेगा. भोले-भाले किसान जादबो ने नए मकान का सपना बुनते ही अपने मकान को तोड़ना शुरू कर दिया. अधिकारी ने भी आश्वासन दिया कि वह मजदूरों की सहायता से अपना मकान बनवाना शुरू करे. बाद में उसके खाते में पूरा पैसा आ जायेगा. किसान जादबो ने गांव के सेठ-साहूकारों से कर्ज लेकर, सोने-चांदी को गिरवी रखकर मकान बनवाना शुरू कर दिया. किसान के साथ ट्रेजडी अब और बढ़ता ही गया. उसके खाते में पूरा पैसा आया ही नहीं. कुछ दिन बाद पता चला कि उसके खाते में 48 हजार रूपये पीएम आवास योजना के नाम पर आ चुका है. किसान भागा-भागा पैसा लेने जगदीशपुर स्थित ग्रामीण बैंक पहुंचा. कर्ज लेकर आधा अधूरा मकान तैयार कर चुका किसान जब 48 हजार रूपये निकालकर ही अपने सपने की मकान को पूरा करना चाहता था.

दौड़ते-भागते पैसे लेने बैंक पहुँचे किसान जादबो को बैंक अधिकारियों ने बताया कि उसे पैसे नहीं मिल पाएंगे. खाते में जमा राशि 48 हजार रूपये को होल्ड कर लिया गया है. यह सुनकर बेचारे किसान जादबो पर मानो बिजलियाँ गिर पड़ीं. किसान सालभर से अपने सपने की मकान को किसी तरह पूरा करने सैकड़ों दफ्तरों की चक्कर काट रहा है. बीते दिनों किसान जादबो बढ़ाईपाली में आयोजित जिला स्तरीय समाधान शिविर में भी पहुंचा था. किसान जादबो के दर्द की दास्ताँ को सुनकर हर अधिकारी हँस पड़ता है. मगर किसान जादबो का कहना है कि उसकी गुहार कोई नहीं सुन रहा है. वह अपने सपनों के आशियाना का निर्माण चौखट तक पूरा कर चुका है. घर तोड़ने के बाद से ही किसान जादबो सालभर से एक झोपड़ी बनाकर रह रहा है.

झोपड़ी में ही पूरा परिवार रोज तंगहाली-बदहाली में जीने मजबूर हो चुका है. जादबो के साथ हुए इस जख्मभरे भद्दे मजाक के संबंध में जब लल्लूराम डॉट कॉम के संवाददाता ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकारियों से बातचीत की तो बड़े ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. अफसरों ने कहा कि सारा गलती तात्कालीन मुख्यकार्यपालन अधिकारी पन्नालाल ध्रुवे की है. अफसरों ने आगे कहा कि किसान जादबो का मकान दो कच्चा कमरा वाला था, इसलिए उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा. इसीलिए उसके खाते में जमा राशि होल्ड कर दिया गया है. अब सवाल उठता है कि जब किसान जादबो पीएम आवास योजना के लिए अपात्र था तो अधिकारी ने मकान क्यों तुड़वाया ? यदि योजना के लिए किसान जादबो अपात्र ही था तो उसके खाते में 48 हजार रूपये जमा क्यों और कैसे हो गए ? आखिर इन गलतियों की सजा क्या किसान जादबो को ही भुगतना होगा ? क्या इस मामले में किसान जादबो का कम पढ़ा-लिखा होना ही गुनाह है ? यदि गुनहगार  कोई और है तो वो आखिर कौन है…?