रायपुर. छत्तीसगढ़ एक बार फिर गौरवान्वित महसूस कर रहा है. छत्तीसगढ़ को आज दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा पुरस्कार मिला है. यह पुरस्कार गणतंत्र दिवस पर राजपथ में सरगुजा की एक भव्य झांकी निकाले जाने पर प्रदान की गई है. झांकी प्राचीन नाट्यशाला पर आधारित थी. यह झांकी छत्तीसगढ़ में रामगढ़ की झांकी के रूप में विख्यात है. आपको बता दें कि सरगुजा जिला स्थित रामगढ़ की यह झांकी सबसे पुरानी नाट्यशाला संस्कृति है.

केन्द्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में आयोजित एक समारोह में गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर निकली छत्तीसगढ़ की रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला पर आधारित झांकी को तृतीय पुरस्कार  पुरस्कार  प्रदान किया. जनसंपर्क विभाग की ओर से अपर संचालक उमेश मिश्रा और संयुक्त संचालक धनंजय राठौर ने यह पुरस्कार प्राप्त किया. पुरस्कार प्रदान करते समय केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने छत्तीसगढ़ के कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना की. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस उपलब्धि के लिए राज्य की जनता का बधाई दी है.

जनसंपर्क विभाग के विशेष सचिव और संचालक राजेश टोप्पो ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लिए यह गौरव की बात है कि राज्य की समृद्ध प्राचीन संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवपूर्ण स्थान मिला.  उन्होंने बताया कि भारत के राष्ट्र्पति , प्रधानमंत्री और आसियान देशों राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष छत्तीसगढ़ की झांकी को प्रदर्शन का अवसर प्राप्त हुआ. किसी भी राज्य की झांकी को राजपथ पर प्रतिनिधित्व मिलना ही गौरव की बात होती है. पुरस्कार मिलने से यह खुशी दुगुनी हो गयी. उन्होंने बताया कि यह चौथी बार है जब राज्य की झांकी को राष्ट्रीय स्तर पर यह सम्मान मिला है. इसके पहले वर्ष 2006 , 2010 और 2013 में भी राज्य की झांकी को यह सम्मान मिला था.

उन्होंने बताया कि जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने पिछले 6 माह से इसके लिए अथक परिश्रम किया था. झांकी के साथ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने झांकी की विषय वस्तु प्रसिद्ध कवि कालिदास की विश्वविख्यात रचना मेघदूतम को  जिसे उन्होंने रामगढ़ की पहाडि़यों में बनी इस नाट्यशाला में ही मूर्तरूप प्रदान किया था. अपने संगीत और नृत्य के माध्यम सजीव रूप प्रदान किया.