शिवा यादव. सुकमा. एर्राबोर गांव के समीप 12 शहीद जवानों की प्रतिमा स्थापित है. ये सभी अलग-अलग घटनाओं में शहीद हुआ है. आज भी बहने यहां पहुंचती है और रक्षासूत्र बांधती है. भाईयों की याद में बहनों के आंखों में आंसू आ जाते हैं.
भाई-बहन का रिश्ता अमर होता है. राखी केवल धागा मात्र नहीं है ये भाई-बहन के प्यार के बंधन की अटूट डोर होती है. जो हमेशा बहन अपने भाई की कलाई में बांधती है और रक्षा का वचन लेती है और इस रिश्ते की महक कभी कम नहीं होती. आज भी बहने देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अपने शहीद भाई की प्रतिमा के हाथों में राखी बांधकर इस पवित्र रिश्ते को निभा रही है. उससे खुद और देश की रक्षा का अनमोल बचन ले रही हैं 14 साल बाद भी बहनों की यादों में भाई जिंदा है. और उनकी यादों को याद कर बहनों के आंखे भर जाती है उन्हे लगता है कि काश हमारे भाई राखी के दिन हमारे बीच रहते लेकिन देश सेवा में वो शहीद हो गए है उन पर हमे गर्व महसूस हो रहा है.
पिछले कई सालों से नक्सलवाद से झूझ रहा सुकमा जिला जहां कई घटनाओं में सैकड़ों जवान शहीद हुए है. जिले के कई जगहों पर शहीदों की प्रतिमा देखी जा सकती है. ऐसा ही एक गांव है एर्राबोर जो एनएच 30 पर स्थित है. गांव के समीप साप्ताहिक बाजार स्थल के पास 12 जवानों के शहीद स्मारक बनाए गए है. ये सभी जवान गांव के आसपास के रहने वाले है और अलग-अलग घटनाओं में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए है. 10 जुलाई 2007 में एर्राबोर थानाक्षेत्र के उत्पलमेटा घटना जिसमें 23 जवान शहीद हो गए थे उसमें से 6 जवान एर्राबोर गांव के ही थे. घटना में बाद इन जवानों की प्रतिमा स्थापित की गई. उसके बाद से उन जवानों की बहने यहां हर साल रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने आती है. उसके बाद भी कई घटनाओं में गांव के जवान शहीद हुए अब 12 जवानों की प्रतिमा स्थापित है. जहां हर साल रक्षाबंधन के दिन बहनों का तांता लगा रहता है. उसके अलावा स्वतंत्रा दिवस व गणतंत्र दिवस के मौके पर शहीद परिवारों के साथ पुलिस कार्यक्रम का आयोजन करती है.
14 सालों से हर राखी पर पहुंचती हूः सोयम संकरी
मेरा भाई वेंकटेश सोयम वर्ष 2007 की घटना में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया था. उसके दूसरे साल से लेकर आज तक हर साल में शहीद स्माकर आती हूं और भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधती हूं. मुझे मेरे भाई पर गर्व महसूस होता है कि वो देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.
यहां आकर भाई को करती हूं महसूसः कमला सोयम
मई 2010 में चिंगावरम के पास नक्सलियों ने एक बस को बम से उड़ा दिया था जिसमें मेरा भाई चंद्रा सोयम भी थे वो इस घटना में शहीद हो गए. उस वक्त में छोटी थी और यहां पर मेरे भाई का स्मारक बनाया गया उसके बाद से हर साल हम परिवार के साथ राखी बांधने आते है और हर राखी में मुझे बुरा लगता है क्योंकि सभी बहनों के पास उनके भाई होते है लेकिन मेरा भाई देश की सेवा में शहीद हो गया है. मेरे और दो भाई फोर्स में है हमेशा डर लगते रहता है.