रायपुर। छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन ने PM नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है.  एसोसिएशन ने लिखा कि छत्तीसगढ़ लौह उद्योग जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी है. वर्तमान में कच्चे माल की अत्यधिक दरों के कारण जबरदस्त नुकसान के दौर से गुजर रही है. 

छत्तीसगढ़ में 200 मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस) उद्योग हैं, जो छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के कल उत्पादन के लगभग 40% के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, जो प्रतिवर्ष लगभग 3 करोड़ यूनिट खपत करने वाले उद्योग है. इस उच्च श्रेणी के सबसे अधिक बिजली खपत करने वाले उद्योगों द्वारा छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल को प्रतिवर्ष लगभग 20000 करोड़ सबसे अधिक राजस्व देने वाले हैं.

छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक विभिन्न टैक्सों और विभिन्न अन्य स्त्रोत के रूप में राज्य शासन एवं भारत सरकार प्रति वर्ष लगभग 5000 करोड़ से अधिक राजस्व प्रदान करते हैं. यह उद्योग लगभग 2 लाख परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है. छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट उद्योग 100 स्पंज आयरन एवं 175 रोलिंग मिलों की बीच की कड़ी है.

प्रदेश की अर्थव्यवस्था तथा मजदूरों के और MSME उद्योगों को जीवन दान देने वाले मिनी स्टील प्लांट उद्योगों की समस्यों की जानकारी एवं सुझाव देना चाहते हैं.

1. कोयला की कीमतों में वृद्धि के कारण बिजली के दरों में वीसीए चार्ज लगातार बढ़ गया है जिससे लागत दरों में अत्यधिक वृद्धि हो गई है. 

2. वर्तमान में तैयार लौह माल का बिल्कुल भी डिमांड नहीं है और उल्टा कोयले के दरों में दिनों दिन वृद्धि होती जा रही है, जिससे पूरा लौह उद्योग चरमरा गया है और अपना उद्योग बंद करने के लिये विवश हो गया है.

छत्तीसगढ़ रायपुर में एक समान्य स्केप नीति के तहत स्केप यार्ड खोला जाये, क्योंकि भारत के बाकि तटवर्तीय क्षेत्रों में स्क्रैप आसानी से उपलब्ध हो जाता है. जैसा छत्तीसगढ़ रायपुर के आईसीडी में स्केप निर्यात करने का आदेश लगभग 4 वर्ष पहले प्राप्त हो चुका है.

  1. स्केनिंग मशीन के वित्तीय खर्च के कारण से वाणिज्य एवं वित्त विभाग भारत सरकार के बीच में फाइल रूका हुआ है. इस पर जल्द निर्णय होना चाहिए और छत्तीसगढ़ रायपर के आईसीडी में स्केन मशीन लगवाकर स्केप निर्यात सुविधा प्रदान करवाना चाहिए.
  2. भारत के सभी प्राकृतिक खनिज पदार्थ जो की हमारी संपदा है। जैसे की आयरन ओर ग्रीन पैलेट, स्पंज आयरन, पिग आयरन, सिलिको मैगनीज, कोयला आदि इन सभी को हमें संरक्षण देना चाहिये। तथा इस सभी प्राकतिक खनिज पदार्थों पर त्वरित रूप से निर्यात पर रोक लगाना चाहिए.
  3. हमारे इस प्राकृतिक खनिज पदार्थ को चीन एवं अन्य देशों में निर्यात किया जा रहा है. इसे पहले अपने स्थानीय क्षेत्र के उद्योगों को संरक्षित करना चाहिए. उसके बाद ही कच्चा माल देश के बाहर निर्यात करना चाहिए, जिससे दो प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है. हमारा प्राकृतिक खनिज पदार्थ भी बाहर नहीं जाएगा और स्थानीय उद्योगों को कच्चे माल की संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा.
  4. मिनी स्टील प्लांट उद्योगों के लिये बिजली के दरों पर कम सक कम 5 वर्षों की लौंग टाईम पॉलिसी बनाई जाये, जिससे उद्योगों को प्रति वर्ष बिजली की दरों में वृद्धि बोझ बचा जा सके.
  1. भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा नीलामी प्रकिया के द्वारा स्कैप एवं पिग आयरन का विकय किया जाता है, लेकिन वह स्कैप भी कुछ व्यापारियों द्वारा मुनाफाखोरी कर राज्य के बाहर निर्यात किया जा रहा है. परिणामस्वरूप स्पंज आयरन व स्कैप की कमी का दंश हमें झेलना पड़ रहा है.

देखिए पत्र- CamScanner 10-16-2021 13.33.53