रायपुर। प्रदेश में 15 नगरीय निकायों में चुनाव का ऐलान हो चुका है. कायदे से भी नगरीय निकाए चुनाव महत्वपूर्ण है, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से भिलाई, रिसाली , भिलाई-चरोदा नगर निगम और जामुल नगर परिषद में होने वाला चुनाव का दोनों के लिए नाक का सवाल बन गया है.
चारों निकायों में बीते चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने अच्छी-खासी सफलता हासिल की थी. यह तब की बात है जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी, अब सत्ता में होने के बाद तो जीत हासिल करने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए अनिवार्य हो गया है. प्रत्याशियों की जीत की राह में कोई रोड़ा न रहे, इसके लिए अबकी बार कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ सरकार भी कदमताल कर रही है. मतदाताओं का विश्वास हासिल करने में रोड़ा बन रही तमाम बाधाओं को दूर किया जा रहा है.
दुर्ग जिले के इन नगरीय निकायों में होने वाले चुनाव का कितना महत्व है, यह इस बात से साबित हो जाता है कि हाल ही के दिनों में रायपुर को छोड़ दुर्ग में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आहूत की गई थी, इसमें महंगाई जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी, लेकिन नगरीय निकाय पर पूरा फोकस था. मौके पर कार्यकर्ताओं के साथ पदाधिकारियों के जरिए जमीनी हकीकत से वाकिफ होने के बाद अब 25 नवंबर को होने वाली बैठक में महापौर के साथ पार्षद प्रत्याशियों पर मंथन होगा.
जिन नगरीय निकाय चुनाव को घोषणा की गई है, उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भिलाई नगर निगम है. भिलाई की नब्ज पर पकड़ रखने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए महापौर के लिए देवेंद्र यादव पर खेला गया दांव सही साबित हुआ था. यही नहीं विधायक के चुनाव में देवेंद्र यादव पर फिर से दांव लगाया भी सफल साबित हुआ था. अब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं, लिहाजा किसी भी गणित के गलत होने का सवाल नहीं उठता है.
रिसाली नगर पालिका गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के लिए महत्वपूर्ण है. निर्वाचन क्षेत्र में आने के साथ-साथ भविष्य की राजनीति के लिहाज से उनके लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है. बीते चुनाव में प्रतिमा चंद्राकर की टिकट को काटकर ताम्रध्वज साहू को टिकट दिया था, जिसे उन्होंने सही साबित किया था. उनकी जीत कोई तुक्का नहीं थी, इस बात को ताम्रध्वज साहू को महापौर के चुनाव में साबित करना होगा. इसके लिए गुटबाजी को दूर करते हुए कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेते हुए कार्य करना होगा.