Chhattisgarh News: पुरुषोत्तम पात्र. गरियाबंद जिला अस्पताल में साधनों और संसाधनों की कमी जिला अस्पताल बनने के बाद से बदस्तूर जारी है. इस समस्या का खामियाजा जिले के लोगों को उठाना पड़ रहा है और उन्हें डायलिसिस के लिए दूर जाना पड़ रहा है. इस बीच डायलिसिस न मिलने से एक मरीज की मौत की खबर है.

गरियाबंद का आलम ये है कि यहां वर्तमान में जिला अस्पताल में मिल रही डायलिसिस की सुविधा मरीजों के लिए केवल इसलिए बंद पड़ी हुई है, क्योंकि उस जर्जर कमरे की मरम्मत का कार्य चल रहा है. जिस ठेकेदार को कार्य दिया गया है वह निर्धारित समयावधि के बावजूद उसे पूरा नहीं कर रहा है.  यही कारण है कि डायलिसिस यूनिट पिछले करीब 20 दिनों से बंद है.

श्रवण कुमार ने तोड़ा दम… मरीजों को रायपुर आना पड़ रहा

इसी असुविधा के चलते 7 अप्रेल को श्रवण कुमार जगत उम्र 29 वर्ष नामक युवक ने दम तोड़ दिया. मैनपुर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले गोपालपुर निवासी श्रवण जगत के भाई पवन ने बताया कि उसका भाई किडनी की बीमारी से पीड़ित था उसका पिछले डेढ़ साल से डायलिसिस हो रहा था.  बीते दिनों मरम्मत के चलते जिला अस्पताल में डायलिसिस बंद होने के कारण उसे रायपुर ले गए थे जहां 6 अप्रेल की शाम को उसका डायलिसिस हुआ और सुबह होते होते उसकी मृत्यु हो गई.

 रायपुर के डॉक्टरों ने मौत का कारण देर से डायलिसिस होना बताया. अब परिजनों को इस बात का अफसोस है कि अगर समय पर श्रवण का डायलिसिस हो जाता तो आज वह जिंदा होता.  इसी तरह जिला अस्पताल के आइशोलेशन कक्ष में भर्ती किडनी पीड़ित प्रेम शंकर यादव ने बताया कि जिला अस्पताल के कक्ष की मरम्मत के चलते पिछले कई दिनों से डायलिसिस की सुविधा बंद होने के चलते उन्हें अब रायपुर जाना पड़ता है.   शारीरिक कमजोरी के चलते वे ज्यादा चल फिर नहीं पाते है इसलिए मजबूरी वश उन्हें प्राइवेट वाहन का सहारा लेना पड़ता है. एक बार आने जाने मे लगभग 3 हजार रुपये का खर्च आ रहा. उन्हें हफ्ते में 3 बार डायलिसिस करने रायपुर जाना पड़ रहा है. जिसके चलते उनकी आर्थिक शारिरिक स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है.

डॉक्टर दे रहे सिर्फ आश्वासन

मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टरों से बात करने रोज केवल और केवल आश्वासन मिल रहा है. उक्त मरीज की पत्नी चैती बाई ने बताया कि उनके पति के साथ भागदौड़ करते वे खुद भी बीमार हो गई है.   डायलिसिस के लिए रायपुर आनाजाना करने से उनके पति का स्वास्थ्य भी दिनोदिन गिरते जा रहा है. श्रवण और प्रेम शंकर यादव जैसे वर्तमान में 20 से ज्यादा मरीज डायलिसिस के लिए गरियाबंद जिला अस्पताल पर निर्भर है. वे अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार अपना डायलिसिस करा रहे है.

हम प्रयास करेंगे जल्द शुरू हो जाए: डॉ चौहान

डायलिसिस कक्ष काफी जर्जर हो चुका है. कुछ दिनों पहले छत से प्लास्टर भी टूटकर गिर गया था. जिससे कुछ मरीज बाल बाल बचे थे कक्ष की जर्जर हालत को देखते हुए उसके मरम्मत का कार्य ठेकेदार को दिया हुआ है. मगर निर्धारित समयावधि पूर्व हो जाने के बाद भी उसके द्वारा कार्य पूरा नहीं किया गया है. हम पूरा प्रयास कर रहे है जल्द से जल्द कक्ष का मरम्म्त कार्य पूर्ण हो जाये.

डॉ हरीश चौहान (आवासीय चिकित्सा अधिकारी)