रायपुर. राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग प्रदान करना, उन्हें नया जीवन देने जैसा है. यह ईश्वरीय कार्य है और यह कार्य उनके सपने पूरे करने जैसा है. यह कार्य मानवता की सेवा के लिए एक बड़ा कार्य है. उन्होंने कहा कि जब हम किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं तो सबसे अधिक आत्मसंतुष्टि मिलती है. राज्यपाल आज सुधर्म जैन समाज, रायपुर एवं वर्धमान मित्र मंडल के संयुक्त रूप से आयोजित निःशुल्क कृत्रिम हाथ वितरण शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रही थी. कार्यक्रम में राज्यपाल सहित अन्य अतिथियों ने दिव्यांगजनों को कृत्रिम हाथ का वितरण भी किया.
राज्यपाल ने कहा कि मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कितनी भी बाधा आए फिर भी लक्ष्य को प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता. हमारे समक्ष अनेकों उदाहरण हैं, जिसमें शारीरिक रूप बाधित व्यक्ति भी अपनी इच्छाशक्ति एवं हिम्मत से बेहतर तरीके से जीवन जी रहे हैं. राज्यपाल ने पर्वतारोही अरूणिमा सिन्हा और छत्तीसगढ़ के दिव्यांग पर्वतारोही चित्रसेन साहू का उदाहरण देते हुए कहा कि इन्होंने अपने दृढ़ इच्छा शक्ति से माउंट एवरेस्ट तथा माउंट किलमिंजारो चोटी को फतह किया. ऐसे लोग पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं, जिन्होंने हिम्मत हारने के बजाय दृढ़ संकल्प से दुनिया जीती है तथा अपने कार्यों एवं उपलब्धियों से दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनते हैं.
राज्यपाल उइके ने कहा कि हमारे समाज में मानवीय सेवा को सबसे बड़ी सेवा के रूप में महत्व दिया जाता है. ऐसे हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए जिससे शारीरिक रूप से बाधित व्यक्ति आत्मनिर्भरता और सम्मान के साथ बेहतर जीवन-यापन कर सकें. उन्होंने निःशक्तजनों की भावनाओं को समझने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें यह बताने का प्रयत्न करें कि शारीरिक रूप से निःशक्त होते हुए भी वे स्वयं को किसी से कम नहीं समझें. उन्होंने कहा कि कृत्रिम हाथ एवं पैर निर्माण तथा उससे लाभान्वित होने वाले लोगों की गाथाओं का भी प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी इससे प्रेरणा ले सकें.
ऐसे व्यक्तियों को कृत्रिम अंगों के माध्यम से उनकी निःशक्तता से काफी हद तक छुटकारा दिलाया जाना संभव है. कार्यक्रम में कृत्रिम हाथ बनाने वाले संस्था के सदस्यों को भी सम्मानित किया गया. राज्यपाल को आयोजकों को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया. इस अवसर पर विधायक कुलदीप जुनेजा और संस्था के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे.