पुरूषोत्तम पात्रा. गरियाबन्द. रविवार को पायलीखण्ड निवासी 21 वर्षीय गर्भवती सुमित्रा नागवंशी व उसके गर्भ में पल रहे जुड़वा संतान की मौत चिकित्सा सुविधा समय पर नहीं मिलने से हो गई. करलाझर निवासी सुमित्रा के भाई डमरू सोरी ने बताया की बहन 20-25 दिन से मायके में रह रही थी. आज सुबह करीबन 4 बजे प्रशव पीड़ा हुआ तो किराए की गाड़ी लेकर देवभोग सुबह 6 बजे एक निजी अस्पताल में पहुंचे.
तब तक ब्लीडिंग शुरू हो गई थी,देवभोग वालो ने क्रिटिकल बता कर बड़े अस्पताल जाने कहा. तब तक खून भी बह गया था. सूबह 7 बजे देवभोग से सीधे राजीम अस्पताल के लिए निकले थे,लेकिन रास्ते मे बरगांव के पास बहन की मौत हो गई. 12 बजे बहन के शव को उसके ससुराल ले जाकर उनके परिजनों की मौजूदगी में दोपहर 12 बजे अंतिम संस्कार कर दिया गया.
सरकारी सुविधा के सवाल पर भाई ने कहा कि सड़क खराब होने के कारण कोई भी एम्बुलेन्स करलाझर साइबिन कछार तक नहीं आती है. आ भी गई तो 10 से 15 किमी दूरी पर मौजूद मेन रोड पर खड़े होकर पीडितों को लाने कहा जाता है. इमरजेंसी में इसी तरह प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल करते है. मृतका के भाई ने इस इलाके के लिए बस्तर के तर्ज पर बाइक एम्बुलेन्स की मांग की है,ताकि ऐसी मौत की पुनरार्वित्ति न हो सके.
महिला कार्यकर्ता नहीं, नदी पर बाढ़ की आशंका भी थी
अपने पहले संतान के आगमन की खुशी में दिन काट रहे पति नेमेन नागवंशी पत्नी की मौत के बाद सदमे में है. पति ने बताया की पायलिखण्ड उंदन्ति नदी के तट पर बसा है, बारिश व बाढ़ की संभावना को देखते हुए अंतिम 9वां माह लगते ही सितम्बर के लास्ट में मायका करलाझर छोड़ दिया था.
यंहा महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी नहीं है,प्रशव जैसे केस में पुरुष कार्यकर्ता से प्रशव कराने में हिचक होती है. 7वें माह में जब ओडिसा में सोनोग्राफी किया गया था तो जुड़वा संतान बताया गया था. इसी रिस्क को देखते हुए वंहा ले जाना उचित समझे थे पर किस्मत खराब,गरीबी व असुविधा के कारण पत्नी व गर्भ में पल रहे बच्चों की मौत हो गई.
सरकारी ब्यवस्था पर लचर प्रसाशनिक अव्यवस्था
प्रसिद्ध हीरा खदान स्थित पायलिखण्ड जांगड़ा पंचायत में आता है. कमार भुंजिया बाहुल जांगड़ा पंचायत में उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई है. ढाई साल पहले नए भवन निर्माण की मंजूरी भी दी गई. सीजीएमसी के ठेकेदार ने ढाई साल में भवन को नहीं बनाया. यंहा अनूप पैकरा नाम के स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पोस्टिंग भी है. 7 अगस्त को महिला कार्यकर्ता मंजू वर्मा की पोस्टिंग भी किया गया. 20 सितम्बर को ज्वाईन भी की पर काम पर मौजूद नहीं है. कार्यालय व आवास की असुविधा को देखते हुए मंजू वर्मा हाइएप्रोज लगाकर तबादला के प्रयास में जुटी हुई है. सरपंच प्रतिनिधि हेमंत नेताम,उपसरपंच भानु सिन्हा,जनपद सदस्य जयराम नागवंशी ने बताया कि ऐसी समस्या आज एक सुमित्रा को नहीं है,गर्भवती सभी माता बहनों को असुविधा का सामना करना पड़ता है.अधूरे भवन व महिला कार्यकरता कि मांग हमेशा करते आ रहे है.पर कोई सुनने वाला नहीं है.
एम्बुलेन्स में 102,108 की सुविधा है. स्थानीय स्तर पर मौजूद कार्यकर्ताओं द्वारा प्रावधान के तहत टिके व विटामिन भी दे रहे थे. प्रशव पीड़ा पर इन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या कार्यकर्ता से सीधे संपर्क करना था. सरकारी अस्पताल आना था,लेकिन ऐसा नहीं किये. किन हालातो में मौत हुई है जांच करने बीएमओ को कहा गया है. बाइक एम्बुलेन्स की मांग जायज है, इसे शाशन स्तर पर अवगत कराया जाएगा.
एन आर नवरत्न, सीएमएचओ