गरियाबन्द। कड़क पुलिस आफिसर को पहली बार ‘झोलटूराम’ गाने पर नाचते हुए देख लोग हैरान हुए थे, लेकिन इस ऑफिसर के अंदर छुपे कलाकार ने कोरोना काल में जन जागरूकता के लिए अलग-अलग विषयों पर कई शॉर्ट फ़िल्में बनाई, जिसका सकारात्मक परिणाम भी आया. ऐसे संवेदनशील पुलिस अधिकारी के तबादले पर अब जिले के विभिन्न वर्ग समारोह का आयोजन कर उन्हें भावभीनी विदाई दे रहे हैं.
बात हो रही है गरियाबंद जिले में पुलिस अधिकारी नहीं बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह काम करने वाले एडिशनल एसपी सुखनन्दन राठौर की. एएसपी राठौर का बीते 12 सितम्बर को प्रदेश के एटीएस शाखा एएसपी रूप में तबादला हुआ. इसकी जानकारी लगते ही कुछ संगठनों ने विरोध करते हुए ज्ञापन सौंपकर उन्हें यथावत रखने के लिए लामबद्ध होने लगे थे. आखिरकार उनके आग्रह पर विरोध ठंडा हुआ.
27 फरवरी 2019 को गरियाबन्द में पदस्थापना के बाद एएसपी राठौर ने न केवल क्राइम कंट्रोल व ला एंड ऑर्डर का फॉलो करवाने में लगे रहे, बल्कि इन सब से हट कर सभी वर्गों के साथ बेहतर तालमेल कर सामुदायिक पुलिसिंग का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है.
एएसपी राठौर के काम करने के अंदाज की वजह से लोग उन्हें भावपूर्ण विदाई दे रहे हैं. यह सिलसिला 15 सितम्बर से गरियाबन्द में चेम्बर आफ कॉमर्स व व्यापारी संघ के कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ. इसके बाद सर्व आदिवासी समाज, पत्रकार, शिक्षक, यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस, जिला पंचायत सदस्य, सरपंच संघ के अलावा पुलिस परिवार की ओर से विदाई समारोह का आयोजन किया गया.
एएसपी सुखनन्दन राठौर ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि उनके सर्विसकाल का यह सबसे बड़ा उपलब्धि है. जिसे वह जिंदगीभर संजो के रखेंगे. गरियाबन्द जिले में रह कर जो सम्मान मिला, जाते वक्त जिलेवासियों ने यह अहसास करा दिया कि मिल रहा प्यार मुझे मिला, जिम्मेदारी के सफल निर्वाहन के लिए ही है.
ग्राम रक्षा समितियों के जरिए सीधे ग्रामीणों से जुड़े
कलाकार ह्रदय एएसपी राठौर अपने दायित्व के प्रति भी गंभीर रहे. उन्होंने अपराध नियंत्रण के लिए गाँव-गाँव मे ग्राम रक्षा समितियों का गठन कराया, और इसकी मॉनिटरिंग के साथ समिति से सीधे संवाद का जिम्मा अपने हाथ लिया. छोटी विवाद हो या कोई बड़ी वारदात या फिर गाँव को नुकसान पहुंचाने वाले अवैध कारोबार की सीधी सूचना ग्रामीणों से तत्काल मिलने लगी. इस पर कार्रवाई भी होती रही, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा और एक मजबूत पुलिस सूचना तंत्र खड़ा हुआ. इसी नेटवर्क के बदौलत अवैध कारोबार पर लगाम कसा गया. इसके साथ ही नक्सली मूवमेंट की सटीक सूचना का संकलन पुलिस के अभियान में मददगार साबित हुई. यही नहीं धान खरीदी सीजन में देवभोग के ओडिसा सीमा से आने वाले अवैध परिवहन को रोकने में भी भारी सफलता मिली थी.