रायपुर। राजधानी के अभनपुर स्थित बिरबिरा गांव में 17 गांव के किसान प्रमुखों ने आज किसान संगोष्ठी किया. कृषि को आत्मनिर्भर बनाने पर विचार मंथन हुआ. बिगड़ती व्यवस्था को स्वयं ठीक करने निर्णय लिया है. क्योंकि अकाल की आशंका से किसान रहे हुए हैं. किसानों ने शासन स्तर के काम के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है.

आज 17 गांव के किसान प्रमुखों ने प्रस्ताव कर निर्णय लिया है कि पिछले कुछ वर्षों से खुले में घूम रहे मवेशियों के कारण खरीफ फसल के बाद दलहन तिलहन फसल लेने से क्षेत्र के किसान वंचित हो गए हैं, क्योंकि खुले घूम रहे जानवर तीव्र चना समेत दलहन फसलों को चर कर फसल बर्बाद कर देते हैं. सभी गांव के किसानों ने एकमत होकर निर्णय लिया कि खुले में घूम रहे मवेशी को गौठान और स्थानीय व्यवस्था के तहत पूरी तरह रोक लगाई जाएगी. जो किसान जानबूझकर खुले में मवेशी छोड़ते है, उसके ऊपर कानूनी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान शासन सुनिश्चित करें.

इस वर्ष से दलहन तिलहन की फसल लेने का निर्णय भी लिया गया. साथ ही गौर थानों में लावारिस पशुओं को स्थाई रूप से रखने के लिए शेड निर्माण शासन करवाए. मौसम की बेरुखी से उत्पन्न सूखे की समस्या पर सभी किसानों ने एकमत होकर मर रहे धान के पौधे को बचाने के लिए नहरों से पानी दिए जाने कम से कम एक पानी कुछ दिन चला कर राहत पहुंचां. ताकि बचत रोपा बियासी का कार्य पूरा हो सके. गांव के मजदूर किसान के बच्चे कोरोना काल में शिक्षा से वंचित होने से उनका पूरा भविष्य खराब हो रहा है. इस पर सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए अध्यापन कार्य प्रारंभ करने का प्रस्ताव पारित किया गया.

अन्य प्रस्ताव में किसानों को समुचित खाद बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने और सिंचाई एवं पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति के लिए स्थाई समाधान के लिए गंगरेल बांध की जल भराव क्षमता को बढ़ाने सिकासेर बांध से नहर निर्माण कर गंगरेल में पानी पहुंचाया जाए. कड़ी मेहनत और काफी लागत से उपजाए धान वह अन्य अनाज का पूरा-पूरा खरीदी केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मिलकर किया जाए. इसके लिए समर्थन मूल्य में खरीदी की कानूनी गारंटी का बिल पास किया जाए. किसान हित में जारी दिल्ली में चल रहे आंदोलन का छत्तीसगढ़ के किसानों ने पूरा समर्थन दिया.

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