रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवि और पद्मश्री सम्मान से अलंकृत सुरेंद्र दुबे का सोमवार को निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आते ही पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। साहित्य जगत, राजनीतिक मंच और उनके लाखों प्रशंसक इस क्षति से गमगीन हैं।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जताया शोक

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कवि सुरेंद्र दुबे के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने अपने आधिकारिक ‘X’ अकाउंट पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा:

“सुरेंद्र जी जीवन भर मुस्कान बांटते रहे, आज आंखें नम कर गए।
छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर विश्व मंच तक अपनी विशिष्ट कविताओं से पहचान बनाने वाले महान कवि श्री सुरेंद्र दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है।

ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोक संतप्त परिजनों और उनके असंख्य प्रशंसकों को यह पीड़ा सहने की शक्ति प्रदान करें।

आपकी कविताएं सदैव हमारे हृदय में जीवित रहेंगी।

ॐ शांति।”

कुमार विश्वास बोले – रायपुर के मेरे दिल का एक हिस्सा अब खाली हो गया

प्रसिद्ध कवि और लेखक डॉ. कुमार विश्वास ने भी सुरेंद्र दुबे के निधन पर गहरा शोक जताया। उन्होंने लिखा:

“छत्तीसगढ़ी भाषा व संस्कृति के वैश्विक राजदूत, मुझे सदैव अनुजवत स्नेह देने वाले, बेहद ज़िंदादिल मनुष्य, कविश्रेष्ठ पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे जी का निधन सम्पूर्ण साहित्य-जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
मेरे हृदय के रायपुर का एक हिस्सा, आपकी अनुपस्थिति को सदैव अनुभव करेगा भैया।
प्रिय @ashutoshdubeyji व पूरे परिवार को ईश्वर इस आघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
🙏 ॐ शांति ॐ”

अरुण साव बोले – यह मेरी व्यक्तिगत क्षति भी है

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा:

“हास्य कविताओं के लेखक, छत्तीसगढ़ के विख्यात कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत ही दुःखद एवं पीड़ादायक है।
उनका जाना पूरे साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं उनका श्रोता रहा हूं, ये मेरे लिए भी व्यक्तिगत क्षति है।
परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति।”

केदार कश्यप ने जताया शोक – शब्दों से मुस्कान बांटने वाले कवि आज मौन हो गए

छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने भी गहन शोक व्यक्त करते हुए लिखा:

“जीवन भर शब्दों से मुस्कान बाँटने वाले सुरेंद्र जी आज मौन छोड़ चले गए…
पद्मश्री कवि श्री सुरेंद्र दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिवार सहित अनगिनत श्रोताओं को यह अपूरणीय क्षति सहने की शक्ति दें।
ॐ शांति।”

रामविचार नेताम ने कहा – वे केवल कलाकार नहीं, एक सामाजिक चेतना थे

मंत्री रामविचार नेताम ने अत्यंत भावुक श्रद्धांजलि देते हुए लिखा:

“छत्तीसगढ़ी भाषा के सुप्रसिद्ध हास्य कवि, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे जी के निधन का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआ। यह केवल साहित्य जगत ही नहीं, बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ और हिंदी भाषी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।

डॉ. दुबे जी न केवल एक प्रखर कवि और विलक्षण मंचीय कलाकार थे, बल्कि वे सामाजिक चेतना के सजग स्वर भी थे। चुटीली हास्य-वाणी में वे गंभीरतम सत्य भी सहजता से कह जाते थे।

उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हास्य को एक सशक्त चिंतन और सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनाया। वे केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि जन-जागरण की धारा थे।

मां महामाया से प्रार्थना है कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें एवं शोकाकुल परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति।”

लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा – उनकी रचनाएं और स्मृतियां सदैव जीवित रहेंगी

मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने भी पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को भावुक श्रद्धांजलि देते हुए लिखा:

छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य कवि, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे जी के निधन का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। यह केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, संपूर्ण साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। अपनी अनूठी शैली और हास्य व्यंग्य की गूंज से उन्होंने न केवल मंचों पर, बल्कि लोगों के हृदयों में भी अमिट छाप छोड़ी।

देशभर में छत्तीसगढ़ की साहित्यिक पहचान को उन्होंने गौरव दिलाया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों व शुभचिंतकों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। उनकी रचनाएं और स्मृतियां सदैव हमारे बीच जीवित रहेंगी। ॐ शांति!

डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा – वाकई अद्भुत शख्स थे सुरेंद्र दुबे जी

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी (हरिभूमि) ने गहरे शोक के साथ अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा:

“छत्तीसगढ़ी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, ऐसे प्रसिद्ध हास्य कवि–शब्द साधक पद्मश्री सुरेंद्र दुबे अब हमारे बीच नहीं रहे। हृदयाघात के कारण उनके निधन की जानकारी अभी प्राप्त हुई है।

यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से अत्यंत कष्टकारी है।

वह वाकई अद्भुत शख्स थे।

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की जीवन

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में हुआ था। भारतीय साहित्य के साथ ही छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी। उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं और कई मंचो और TV शो पर दिखाई दिए हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में, देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था। वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।

विदेशों में भी मिला सम्मान

बता दें, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कविताओं से सबका दिल जीता है। उन्हें अमेरिका (America) के वाशिंगटन (Washington) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी एसोसीएशन द्वारा आयोजित समारोह में पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया था।

पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र की रचनाओं पर देश के 3 विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है, जो उनकी साहित्यिक और अकादमिक उपलब्धियों की पुष्टि करती है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H