सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधीनियम लागू होने के बाद भी मनमानी फीस वसूली पर लगाम नहीं लगी है. निजी स्कूलो में पिछले साल के फीस के समान ही इस साल का फीस तय कर दिया है. जबकि अभी सिर्फ ऑनलाइन क्लास लग रही है. यह आरोप छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने लगाया है. उन्होंने इसकी शिकायत शिक्षा विभाग में की है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने बताया कि शिक्षा विभाग की प्राइवेट स्कूलों में उचित फ़ीस निर्धारण एवं उनकी मनमानी पर लगाम लगाने का दावा फेल साबित हो रहा है. प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए जो अधिनियम लाया गया वो लचर क्रियान्वयन के दम तोड़ती नजर आ रही है. सही समय पर प्राइवेट स्कूलों में गठित विद्यालय फीस समिति और निर्धारित फ़ीस कमेटी को अमान्य नहीं किया गया तो शिक्षा विभाग के उद्देश्य एवं पालकों के आस पर पानी फिर जाएगा.

छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फ़ीस विनियमन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार समिति का गठन करना था, लेकिन नियम को ताक पर रखकर कमेटी गठित कर दिया गया है. इसलिए गठित कमेटी को भंग नियमानुसार फ़ीस निर्धारण कमेटी का गठन करने का सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया जाए.

कमेटी गठन का नियम

फ़ीस विनियमन अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों के विद्यालय फीस समिति में कुल 11 सदस्य होंगे, जिसमें आठ पालक होंगे. चार पालकों का चयन स्कूल और चार पालकों का चयन नोडल अधिकारियों के द्वारा किया जाना है. कमेटी गठन के पूर्व सभी पालकों सूचित कर सहमति लेकर फीस निर्धारण किया जाना है.

कमेटी गठन नियमों का हुआ उल्लघंन

प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों में विद्यालय फीस समिति का गठन हुआ, इसकी जानकारी पालकों को ना ही स्कूलों ने सूचित किया ना नोडल अधिकारियों ने और फीस निर्धारण किया गया. उसमें भी पालकों की सहमति भी नहीं ली गई, जो न्याय संगत नहीं है. नियमों का उल्लघंन है.

विद्यालय फीस समिति द्वारा निर्धारित फीस पर उठे सवाल ?

प्रदेश के ज़्यादातर प्राइवेट स्कूलों में बीते वर्ष यानी 2019-20 और इस वर्ष 2021 की फ़ीस एक समान है, जबकि बीते वर्ष का फ़ीस का निर्धारण रेगुलर क्लासेस और बीते वर्ष स्कूलों द्वारा दी जा रही सुविधाओं के अनुसार निर्धारित किया गया था और इस वर्ष तो स्कूल बंद है. ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है तो फिर बीते वर्ष और इस वर्ष की फीस 1 समान कैसे हो सकता है ? जबकि इस का स्कूल शुल्क स्कूलों द्वारा दी जा रही सुविधाओं के अनुसार निर्धारित किया जाना था.

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी

लोक शिक्षण संचालक जितेंद्र शुक्ला ने कहा कि दो समिति का प्रावधान है, दूसरे समिति में कलेक्टर चेयरमैन है. स्कूल समिति के फैसले से पालकों को असहमति है तो जिला स्तर के कमेटी पर शिकायत किया जा सकता है, फिर कलेक्टर निगरानी में जांच होकर स्कूल के व्यवस्था अनुरूप फीस तय किया जाएगा.

रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर का कहना है कि स्कूल में फीस निर्धारण समिति का गठन हो चुकी है. फीस निर्धारण समिति की बैठक बाकी है, तय फीस का शिक्षा के विभाग आंकलन कर फीस को मान्य करेगी. उसके बाद स्कूल फीस निर्धारित होगा. नियमानुसार स्कूल के दर प्रतिशत पालक शिकायत करते हैं तो उसमें संज्ञान लिया जाएगा.