शिवम मिश्रा, रायपुर। सुबह-सुबह एक दुखद खबर आई. खबर थी एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत की. खबर सुनकर चौंकना लाजिमी था. लेकिन यकीन करना बहुत ही मुश्किल. इस बीच फोन पर खबर की पुष्टि करने में लगा गया. खबर की प्रारंभिक जानकारी सही-सही मिलने के बाद मैं अपनी टीम के साथ घटना स्थल के लिए रवाना हुआ. घटना थी अभपुनर थाना क्षेत्र में केंद्री गाँव की. करीब 30 मिनट की यात्रा के बाद मैं अपनी टीम के साथ घटना स्थल में पहुँच चुका था.

गाड़ी से उतरते ही मैंने देखा कि लोगों की भारी भीड़ लगी हुई हैं. पुलिस की गाड़ियाँ खड़ी हुई है. पुलिस केे अधिकारी घटना स्थल पर मौजूद हैं. लोगों की बीच घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. लेकिन इन तमाम दृश्यों को देखते हुए मेरे मन कई सवाल उठ रहे थे. एक पत्रकार के मन में सवाल उठना स्वभाविक है. लेकिन कुछ ऐसे भी सवाल थे, जिनका जवाब मैं शायद कहीं और किसी जरिए ढूँढना चाह रहा था ? अनगिनत सवालों से घिरे हुए मैं घटना वाली जगह में पहुँच चुका था. मैं अब मृतक के घर पर था. जिस घर में घटना हुई थी वह कमलेश साहू का था.


कमलेश साहू…कमलेश साहू ही वह व्यक्ति था, जिसे फंदे पर झूलते हुए उनके गांव के लोगों ने देखा था. मोहल्ले के लोगों को एक मर्तबा यकीन नहीं हुआ था कि कमलेश अब उनके बीच नहीं रहा, क्योंकि जिस कमलेश की लाश को लोगों ने सुबह-सुबह देखी, वह कमलेश तो रात के वक्त में मोहल्ले के लोगों के साथ त्योहार मनाते और पटाखें जलाते हुए दिखा था. फिर ऐसा अचानक क्या हुआ कि कमलेश ने फांसी लगा ली ?

इस एक सवाल के जवाब को जानने की कोशिश कर ही रहा था कि मेरी नज़र मकान के उस खिड़की पर जहाँ पर पर्दा लगा हुआ था. मैं कमरे के अंदर दाखिल हुआ. अंदर दाखिल होते ही जो मैंने देखा वह रोंगटे खड़े कर देने वाला था. वह आँखों को भर देने वाला था. वह आक्रोश पैदा करने वाला था. मैंने देखा की कैसे खाट पर एक बाद एक चार लाशें पड़ी हुई हैं. एक कमलेश की बुजुर्ग माँ की, एक कमलेश की बीमार पत्नी की और दो मासूम बच्चों की.

हम लोगों के पेशे की इसे खराबी कहिए या कुछ और….ऐसे वक्त में हमें भी जैसे भाव शून्य हो जाना पड़ता है. अपने अंदर के क्रोध और दुख को पीछे छोड़ मैं घटना की जानकारी जुटाने लगा. पुलिस वालों से बातचीत की. लोगों से बातचीत की. मृतक के परिवार वालों से बातचीत की. सभी से कुछ न कुछ, लेकिन अलग-अलग जानकारियाँ मिलती रही. हालांकि इन जानकारियों से यह समझना आसान नहीं था कि कमलेश ने आत्महत्या क्यों की ? यह समझना भी आसना नहीं था कि कमलेश ने अपने परिवार वालों की जान क्यों ली ?


कमलेश जहाँ फंदे पर झूलते हुए मिला था, तो कमलेश की माँ, पत्नी और बच्चें बिस्तर पर पड़े हुए मिले थे. इस दौरान एक चर्चा वहाँ पर ये खूब रही कि मृतक ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था. सुसाइड नोट में आर्थिक तंगी से परेशान, पत्नी और माँ की बीमारी को लेकर तनाव होने की बातें थीं. हालांकि सुसाइड नोट की पुष्टि पुलिसवालों ने नहीं की. वहीं आलाधिकारियों ने ऐसी किसी चर्चा को भी खारिज कर दिया.

इस दौरान मैंने देखा कि घटना स्थल पर पंचायत से जुड़े पदाधिकारी भी पहुँचे हुए थे. धीरे-धीरे भाजपा के कुछ नेता भी आएं. कुछ देर में अभनपुर इलाके के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू भी पहुँच गए थे. सभी मृतक परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए और घटना लेकर सवाल उठाते हुए नजर आएं. वहीं इस बीच यह ख़बर भी आई कि पूरे मामले की जानकारी गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने एसएसपी अजय यादव से ली. उन्होंने जाँच के आदेश भी दिए. लेकिन इस दौरान मैंने यह भी देखा कि एक बड़ी घटना होने के बाद एसएसपी घटना स्थल नहीं पहुँचे. क्यों नहीं पहुँचे, कहीं बाहर थे, या कहीं और व्यस्त थे इसकी जानकारी नहीं है !

खैर कवरेज के बाद मैं घटना स्थल से वापस रायपुर लौट आया था. लेकिन घटना के बाद से ही जिन सवालों के साथ मैं कवरेज के लिए पहुँचा था उन सवालों का जवाब न तो वहाँ मौजूद पुलिस के अधिकारी दे पाए, न मृतक के परिवार वाले और न स्थानीय लोग ! लेकिन इस कवरेज के दौरान मैंने पाया कि कमलेश से जुड़ी कुछ जानकारियाँ है, जो शायद वहाँ पर दबाई गई या दबी रही ! शायद कुछ लोग कमलेश को लेकर जानकारी स्पष्ट तौर पर और अधिक रखते हैं, लेकिन उन्होंने कुछ अभी कहा नहीं ! अब इन परिस्थितियों के बीच देखना होगा कि पुलिस कब तक इस पहेली को सुलझा पाने में कामयाब हो पाती है ?