रायपुर। केंद्रीय गृह अपर सचिव ने ‘विशेष केंद्रीय सहायता’ के विषय पर 5 राज्यों के साथ वर्जुअल बैठक की. इस बैठक में छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना राज्य के गृह विभाग और घोर नक्सल प्रभावित 18 जिलों के कलेक्टर्स शामिल हुए. छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से विशेष पुलिस महानिदेशक आरके विज, विशेष पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा, गृह विभाग सचिव उमेश अग्रवाल और कलेक्टर-डिप्टी कलेक्टर बैठक में उपस्थित हुए. घोर नक्सल प्रभावित आकांक्षी जिलों में अधोसंरचना विकास कार्य और मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए आर्थिक सहायता पर चर्चा की गई.

राज्य के आकांक्षी जिलों में अधिक अधोसंरचना विकास कार्य और मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए फंड की आवश्यकता को देखते हुए विशेष केंद्रीय सहायता योजना को निरंतर जारी रखने का अनुरोध किया गया. जिस पर अपर सचिव (एलडब्ल्यूई) गृह मंत्रालय ने राज्य के इस योजनांतर्गत किये गये कार्यों को सराहा. छत्तीसगढ़ की मांगों के संबंध में चर्चा करविशेष केंद्रीय सहायता योजना को निरंतर जारी रखने और अन्य किसी योजना के रूप में घोर नक्सल प्रभावित जिलों को सहायता देने का आश्वासन दिया है.

घोर नक्सल प्रभावित जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता योजना भारत सरकार की नवीन केन्द्रीय क्षेत्रीय है, जो वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक कुल (03) वर्ष के लिए लागू की गई थी. छत्तीसगढ़ राज्य वामपंथ उग्रवाद समस्या से ग्रसित है. राज्य के 14 जिले नक्सल प्रभावित एसआरई जिले हैं. जिनमें से आठ जिले अत्यंत घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं.

राजनांदगांव, बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा और कोण्डागांव है. इन आठ जिलों को प्रति वर्ष राशि 33.33 करोड़ प्रति जिला के मान से राशि प्रदान की गई है. वर्ष 2020-21 में प्रति जिला राशि 14.25 करोड़ केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई है. पूर्व में प्रदत्त राशि का उपयोग सार्वजनिक अधोसंरचना और बुनियादी जन सुविधा का सुदृढ़ीकरण जैसे-सड़क, पुल-पुलिया, स्वास्थ्य-पोषण, कृषि, शिक्षा, बिजली, पेयजल आपूर्ति, स्कूल भवन, सामुदायिक भवन, जन जागरूकता, रोजगार प्रशिक्षण एवं पुलिस संसाधनों में वृद्धि आदि कार्यों में किया गया है. जिससे इन आकांक्षी जिलों के जन-जीवन में सुधार और जन सुरक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है.

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