रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर स्थित इंडोर स्टेडियम में प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘सर्व मंगल आध्यात्मिक महाकुम्भ‘ में सम्मिलित हुये। राज्यपाल उइके ने इस अवसर पर कहा कि सर्व मंगल आध्यात्मिक महाकुम्भ में शामिल होते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है। आज के व्यस्ततम समय में बढ़ते तनाव एवं निराशा ने हर वर्ग के लोगों को अत्यधिक प्रभावित किया है। ऐसे समय में उन्हें मानसिक रूप से सशक्त बनाने में आध्यात्मिक ज्ञान अमृत के समान है। आध्यात्मिकता न केवल उन्हें नकारात्मक विचारों से दूर रखेगी, बल्कि उनमें सकारात्मकता का संचार भी करेगी। वर्तमान समय में मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी सशक्त होना जरूरी है, तभी वह स्वयं का और समाज एवं देश के विकास में बेहतर भूमिका का निर्वहन कर सकेगा। जीवन को सफल बनाने के लिए हर व्यक्ति को सहजता, सरलता, नम्रता और धैर्यता की गुणों को धारण करना जरूरी बताया।

उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमें बच्चों और युवाओं में नैतिक मूल्यों को रोपित करना चाहिए। साथ ही उन्हें सही संस्कार एवं मार्गदर्शन देकर उनकी प्रतिभा का सही विकास करना चाहिए। हर मनुष्य के लिए सबसे पहले जीवन में विकास के साथ शांति प्राप्त करना लक्ष्य होना चाहिए। ईश्वर की सेवा, सद्कार्य, परमार्थ एवं आत्मा की अनुभूति से ही मन को शांति मिल सकती है। जीवन में विनम्रता, प्रेम, खुशी, दूसरों के प्रति करूणा एवं लोक कल्याण की भावना को बनाए रखें।

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने सर्व मंगल आध्यात्मिक महाकुंभ में सम्मिलित होने पर अपनी प्रसन्नता जतायी और कहा कि ब्रम्हाकुमारी जानकी दादी द्वारा 104 वर्ष की इस लंबी उम्र में भी विनम्रता और मधुरता के साथ लोगों को सुखी एवं शांतिमय जीवन के लिए उनके द्वारा दी जा रही प्रेरणा प्रशंसनीय है। ब्रम्हाकुमारी संस्था का भी प्रभाव छत्तीसगढ़ के कोने-कोने तक समाहित है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में सर्व मंगल आध्यात्मिक महाकुंभ के आयोजन के लिए प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी संस्था को अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा नृत्य-नाटिका की सुंदर प्रस्तुति दी गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालुजन उपस्थित थे।

उन्होंने कहा कि सदियों से छत्तीसगढ़ में संत कबीर, बाबा गुरू घासीदास, महाप्रभु वल्लभाचार्य तथा स्वामी विवेकानंद जैसे महान मनीषियों के चरण पड़े हैं। इनके प्रभाव के कारण लोगों ने यहां शांति, सद्भावना, समरसता और भाईचारे के संदेश को गहराई से आत्मसात् किया है। आज छत्तीसगढ़ की पहचान शांति के टापू के रूप में होती है। इस अवसर पर प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय के राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी जानकी दादी ने आध्यात्मिक और नैतिक विषयों पर व्याख्यान दिया।