रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को सालाना रैंकिंग में 31वां स्थान मिलने पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने कहा, भारत सरकार के उपक्रम पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सालाना रेटिंग में छत्तीसगढ़ को ए, ए प्लस और बी प्लस में स्थान मिलना तो दूर, बी ग्रेड में भी अंतिम पायदान पर रखा गया है। भारत सरकार के उपक्रम द्वारा की गई रैंकिंग में 31वें पायदान ने सीएम के प्रभार वाले ऊर्जा विभाग की बिजली कंपनी को लेकर किए जाने वाले बड़े-बड़े दावों की पोल खोल दी है।

पीसीसी चीफ ने कहा, बिजली के राजस्व की सही वसूली नहीं हो पाना छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की रेटिंग गिरने का प्रमुख कारण रहा है। बिजली वसूली की रफ्तार धीमी है। कर्ज भुगतान में देर और लेखा परीक्षित खातों को अंतिम रूप देने में भी देर हो रही है। कर्मचारियों पर व्यय भी बढ़ा है। जब छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं, तो यह व्यय क्यों बढ़ा है? इसका जवाब ऊर्जा विभाग का प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री को राज्य की जनता को देना चाहिए। भूपेश बघेल ने कहा है, सरकार ने 14 साल में 10 बार बिजली दरें बढ़ाई हैं। 14 सालों में बिजली की दरों में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, फिर भी राजस्व की पूर्ति नहीं हो पा रही। इसी वजह से रैंकिंग में छत्तीसगढ़ की विद्युत वितरण कंपनी को 31वां स्थान मिला है।

भाजपा विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि –

छत्तीसगढ़ सर प्लस बिजली पैदा करने वाला राज्य है, हम तेलंगाना को बिजली बेच रहे हैं , कांग्रेस को हर बात पर सिर्फ सियासत नजर आती है.

गौरतलब है इस रिपोर्ट में A+ कैटेगरी की पांच कंपनियों में 4 गुजरात की और 1  उत्तराखंड की हैं. वहीं आंध्रप्रदेश और कर्नाटक की एक-एक कंपनियों को A कैटेगरी, अलग -अलग राज्यों की 13 कंपनियों को B+ कैटेगरी दिया गया है. जबकि छत्तीसगढ़ समेत 9 राज्यों की अलग अलग कंपनियों को B कैटेगरी दी गई है.