रायपुर। छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड नए वर्ष पर देश-विदेश के पर्यटकों को कर्मा एथनिक रिसॉर्ट के तौर पर नई सौगात देने जा रहा है. मैनपाट कमलेश्वरपुर और जोहार एथनिक रिसॉर्ट सोनतराई का पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू मैनपाट में 23 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम में लोकार्पण करेंगे.

पर्यटक अब सामान्य पर्यटन के साथ स्थानीय संस्कृति को भी निकट से देखने एवं उनकी विशेषताओं को समझने में रूचि लेते हैं. हमारे प्रदेश के उत्तर में सीतामढ़ी हरचौका से लेकर दक्षिण में कोण्टा तक विभिन्न जनजातीय समुदाय निवास करते हैं जिनकी जीवनशैली एवं संस्कृति अपने आप में विशिष्ट है.

भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने विभिन्न थीमों पर आधारित पर्यटन विकास की स्वदेश दर्शन योजना वर्ष 2015-16 में प्रारंभ की थी, जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी/जनजातीय एवं ग्रामीण संस्कृति से पर्यटकों को परिचित कराने के उद्देश्य से वर्ष
2016 में ‘‘ट्रायबल टूरिज्म सर्किट‘‘ की परियोजना स्वीकृत की गई.

94 करोड़ 23 लाख रुपए की लागत वाली इस परियोजना में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों को शामिल किया गया है. इस सर्किट में ‘जशपुर – कुनकुरी – मैनपाट – कमलेश्वरपुर (मैनपाट) – महेशपुर – कुरदर – सरोधा दादर – गंगरेल – नथियानवागांव – कोण्डागांव – जगदलपुर – चित्रकोट – तीरथगढ़‘ कुल 13 डेस्टीनेशन्स को विकसित किया गया है.

इस परियोजना के ‘ट्रायबल टूरिज्म सर्किट‘ के अंतर्गत कमलेश्वरपुर (मैनपाट) में ‘ईको एथनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन‘ के रूप में ‘करमा एथनिक रिसॉर्ट‘ विकसित किया गया है. यह रिसॉर्ट सरगुजा क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश की थीम पर राशि 21 करोड़ 37 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है. राज्य सरकार के द्वारा इस परियोजना के लिये कमलेश्वरपुर में 46 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई थी.

‘‘करमा एथनिक रिसॉर्ट‘‘ कमलेश्वरपुर (मैनपाट) में टूरिस्ट रिसेप्शन एवं सुविधा केंद्र, आर्टिज़न हट्स (क्राफ्ट एवं हर्बल हाट – आर्टिसन सेंटर), कैफेटेरिया, ओपन एम्फीथिएटर, सोवेनियर शॉप, ट्रायबल इंटरप्रिटेशन सेंटर, ट्रायबल वर्कशाप सेंटर की सुविधाएं दी गई है. इसी तरह ’सोनतराई मोटल, सीतापुर’ में डॉरमेटरी हॉल, लॉन, कैफेटेरिया (डायनिंग हॉल), स्टोर रूम, पार्किंग की सुविधाएं दी गई है.

इस योजना के परिचालन से मैनपाट में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, पर्यटकों को रूकने के लिए अन्य आवास सुविधा के साथ ग्रामीण परिवेश में रूकने का अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध होगा, स्थानीय लोगों को रोजगार एवं आय के अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध होंगे, यहाँ स्थानीय लोगों एवं हस्तशिल्प कलाकारों के साथ पर्यटकों को हस्तशिल्प प्रशिक्षण दिया जा सकेगा.

स्थानीय तिब्बतन संस्कृति से भी पर्यटक परिचित होंगे, जिससे उनके द्वारा निर्मित प्रॉडक्ट्स का विक्रय बढ़ेगा. इसके अलावा स्थानीय हस्तशिल्प, वनउपज/हर्बल प्रॉडक्ट का विक्रय के लिए सोवेनियर शॉप्स में स्थान उपलब्ध होगा. व्यावसायिक दृष्टि से कांफ्रेंस सुविधा उपलब्ध हो सकेगी, मैनपाट में भविष्य में होमस्टे को बढ़ावा मिलेगा एवं अन्य पर्यटन गतिविधियों में भी बढ़ोतरी होगी.