रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो गई है. सदन ने सबसे पहले 6 दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी. जिन नेताओं को सदन में श्रद्धांजलि दी गई उनमें पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, बाबू लाल गौर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और पूर्व सांसद बंशीलाल महतो, पूर्व विधायक मालूराम सिंघानिया के नाम शामिल हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि- सुषमा स्वराज के निधन से देश की राजनीति में एक अपूरणीय क्षति हुई है. बाबूलाल गौर हमेशा श्रमिको के पक्ष में खड़े नजर आए, लड़ते रहे. मुख्यमंत्री रहे, विभिन्न विभागों का दायित्व संभाला. सहज, सरल, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. अरुण जेटली का संसदीय चर्चा में अमूल्य योगदान रहा है. कुशल रणनीतिकार और कानूनविद थे. मालूराम सिंघानिया का मिलनसार व्यक्तित्व रहा है. उन्होंने गौ सेवा के क्षेत्र में बड़ा काम किया है. बंशीलाल महतो किसानों और आदिवासियों के बीच लंबे समय तक काम करते रहे. उनका अचानक जाना दुखद रहा.

सीएम ने पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कैलाश जोशी के अनेक उद्बोधन हमे सुनने का अवसर मिला है. उनका बड़ा योगदान रहा है. उनका जाना समाज के लिए अपूरणीय क्षति जैसा है. देश और प्रदेश की राजनीति में इन नेताओं के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता.

वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी अपने उद्बोधन में सभी दिवंगत नेताओं के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. नेता धरमलाल कौशिक ने कहा- सुषमा स्वराज का छत्तीसगढ़ से गहरा लगाव रहा. जब भी संसद में उनका भाषण होता था, तब लोग उनके भाषण को सुनने बेताब रहते थे. कम उम्र में हरियाणा की मुख्यमंत्री बनी. आज छत्तीसगढ़ में एम्स जो नजर आ रहा है, यह भी सुषमा जी की देन है. नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनकी स्वीकार्यता सभी दलों में रही है. तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी स्वीकार करते थे कि आपकी भाषण की जो कला है मैं वहां तक ना पहुँच पाऊं. अटल जी कलश यात्रा जब निकलनी थी, तब सुषमा जी ने अपने हाथों से ही मुझे वह कलश दिया था. विदेश मंत्री के रूप में उनके प्रयासों के कई उदाहरण हमारे सामने हैं. बाबूलाल गौर को मध्यप्रदेश में बुलडोजर मंत्री के रूप में जाना जाता है. राजनीति में उन्हें हम अजातशत्रु कह सकते हैं. अरुण जेटली एक प्रखर वक्ता के रूप में न केवल लोकसभा, राज्यसभा में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई. जब छत्तीसगढ़ का गठन हुआ तब लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली छत्तीसगढ़ आये थे. मालूराम सिंघानिया अंतरराज्यीय व्यक्तित्व थे, अनेक राज्यों में जाकर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है.

उन्होंने कहा कि बंशीलाल महतो इतनी जल्दी चले जायेंगे ये उम्मीद नहीं थी. उनका संघर्ष हमने देखा है. एक कुशल चिकित्सक थे. उनके क्लीनिक में लोग जब जाते, लोगों की भीड़ लगी होती. उनकी सहजता को सबने महसूस किया है. राजनीति में कटुता का भाव उनमें नहीं था.एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रुप में लंबे समय तक कैलाश जोशी को हमने काम करते देखा है. राजनीति में यदि किसी को संत की संज्ञा दी जा सकती है, वह कैलाश जोशी हो सेक्टर हैं.

अजीत जोगी ने कहा कि सदन में हम एक दूसरे से बहस करते थे, लेकिन बहस के बाद सदन के बाहर सुषमा स्वराज और हम भाई बहन की तरह थे. बाबूलाल गौर अजेय थे. एक बार मेरी आवाज बनाकर किसी ने बाबूलाल गौर को फोन किया कि 50 लाख रुपये की जरूरत है. उन्होंने उसे 50 लाख रुपये दे भी दिए. एक दिन सेंट्रल हाल में वो मुझसे मिले और उन्होंने मुझे बताया कि आपका काम कर दिया है. उन्होंने सिर्फ मित्रता निभाने को महत्व दिया ये भी जरूरत नहीं समझी कि एक बार कन्फर्म कर लें. मित्रों के लिए वह हमेशा खड़े होते थे. अरुण जेटली प्रखर वक़्ता थे. हिंदी और अंग्रेजी में उनके भाषण कौशल का हर कोई मुरीद था. बीजेपी के एक के बाद एक एक बड़ी पंक्ति के नेता चले गए लेकिन फिर भी पार्टी मजबूती से खड़ी है. कैलाश जोशी से मेरे निकट के सम्बंध थे. बागली के आदिवासियों में वो इतने लोकप्रिय थे लेकिन उन्हें कभी कोई हरा नहीं पाया. मैंने भी उनके खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मीटिंग ली थी लेकिन उसके बाद भी सारे वोट कैलाश जोशी को ही मिले थे.

डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि दो सत्र के अंतराल में छह नेताओं को हमने खोया है. सुषमा स्वराज किसी भी राजनीतिक दल में सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय प्रवक्ता रही, सबसे कम उम्र की हरियाणा की मंत्री रहीं. उनका जाना बेहद दुखी रहा.
अरुण जेटली के छत्तीसगढ़ से बेहद गहरा लगाव था. बाबूलाल गौर से नजदीक के सम्बंध थे. मालूराम सिंघानिया देशभर में गौ सेवा के लिए काम करते रहे. कैलाश जोशी पूरे जीवन ईमानदारी के साथ काम करते रहे. वह हम सबके लिए एक आदर्श के रूप में रहे.

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सुषमा स्वराज एक ऐसी नेत्री थी जिन्हें पूरा देश सुनना चाहता था. छत्तीसगढ़ को एम्स दिया. बाबूलाल गौर के साथ मध्यप्रदेश की विधानसभा में तीन बार हमें साथ काम करने का अवसर मिला. नए सदस्यों को उनकी राजनीतिक यात्रा को समझने की जरूरत है, आखिर वह कैसे हर चुनाव जीत जाया करते थे. अरुण जेटली, मालूराम सिंघानिया, बंशीलाल महतो, कैलाश जोशी को श्रद्धांजलि.