पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। गरियाबंद में मुर्दो को जिंदा करना और जिंदा को मुर्दा करना जिला प्रशासन के लिए बाएं हाथ का खेल है, जिला प्रशासन जब चाहे जिंदा व्यक्ति को मुर्दा कर सकता है और जब चाहे मुर्दे को जिंदा कर सकता है. दरअसल गरियाबंद जिले में कई ऐसे व्यक्तियों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिल रहा है जो जिंदा ही नहीं है जिनकी मौत हो चुकी है वहीं कुछ लोग जिंदा होने के बाद भी योजना का लाभ लेने के लिए ठोकरें खा रहे हैं.

 

मामला गरियाबंद जिले के पाली गांव का है यहं रहने वाली रधियाबाई, चंद्रिका बाई, भागबती बाई  और झुनिया बाई की कई साल पहले मौत हो चुकी है. लेकिन इनके नाम पर शासन से आज भी न सिर्फ राशन का आबंटन होता है बल्कि वितरण भी होता है. जबकि गांव की जागेश्वरी बाई जिंदा है मगर पंचायत ने उसे मृत घोषित कर दिया और उसका राशन भी बंद कर दिया.  ग्रामीणों की माने तो गांव में कुल 216 राशनकार्ड हैं, इनमें से 32 कार्ड फर्जी है.  जिसमें हर महीना राशन आता है और कुछ लोग मिलकर गरीबों के उस राशन को डकार जाते हैं. ग्रामीणों ने सरकार के वेब पोर्टल से मामले की पूरी जानकारी इकट्टा की और मुख्मंत्री से लेकर जिले के आला अधिकारियों तक शिकायत की है।

ग्रामीणों ने बताया कि राशन सोसायटी में चल रहे इस फर्जीवाडे को लेकर गांव में ग्रामसभा की बैठक हो चुकी है, उप सरपंच और सेल्समैन की मिलीभगत सामने आय़ी है. दोनो मिलकर कई सालों से राशन डकार रहे हैं. मगर जब उप सरपंच से लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने बात की तो उन्होंने कुछ भी जानकारी होने से इंकार कर दिया.

वही जिन हितग्राहियों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा था उनके परिजनों ने भी पंचायत प्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी जताई है, परिजनों का कहना है कि जब वे राशनकार्ड के बारे में पंचायत प्रतिनिधियों से पूछते थे तो उन्हें राशनकार्ड नहीं बना कहकर टाल दिया जाता था और उस राशनकार्ड पर ये लोग राशन लेते रहे.  इस बात को लेकर परिजन काफी नाराज है, हालांकि जिला खाद्य अधिकारी केसी डड़सेना ने जॉच का आश्वासन दिया है.

आपको बता दें कि गरीबों के राशन पर डाका डालने का जिले में ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके है. अहम बात तो ये है कि ऐसे मामलों में विभाग द्वारा आज तक किसी भी मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई.